ज्यूसप मेजिनी (Giuseppe Mazzini)

ज्यूसप मेजिनी


जन्म: 22 जून, 1805 ई. में जेनेवा, इटली में हुआ। 

मृत्यु: 10 मार्च, 1872 ई. में पीसा, इटली में हुई।

  • मेजिनी ने अपनी आत्मकथा में लिख, ''मेरे चारों ओर विद्यार्थियों के जीवन का कोलाहल एवं शोरगुल था किन्तु उनके मध्य भी मैं सदैव गम्भीर और आत्मलीन दिखाई ​देता और ऐसा लगता था कि मैं सहसा बूढ़ा हो गया हूं। बालकों की भांति मैंने संकल्प किया था कि मैं सदैव काले वस्त्र पहनूंगा क्योंकि मुझे लगता था कि मैं अपने देश की दुर्दशा पर विलाप कर रहा हूं।'' 
  • 1830 ई. की क्रांति के पूर्व वह कार्बोनरी का सदस्य था। 

कार्बोनरी 

  • 1810 ई. में इटली के नेपल्स राज्य में कोयला खान मजदूरों की संस्था थी। 
  • फ्रांस का शासक नेपोलियन तृतीय व मेजिनी जैसे व्यक्ति इसके सदस्य थे।

इसके दो मुख्य उद्देश्य थे-

  • विदेशियों को इटली से बाहर निकालना और वैधानिक स्वतंत्रता की स्थापना करना।
  • इस संस्था के काला, लाल और नीले रंग वाले तिरंगे झण्डे ने शीघ्र ही लोकप्रियता प्राप्त कर ली।

  • मेजिनी ने क्रांति में भाग लिया था। किंतु क्रांति के दमन करने के बाद उसे बंदी बनाकर सैव्रोना के दुर्ग में भेज दिया गया और बाद में इटली से निष्कासित कर दिया गया।
  • 1831 ई. में वह फ्रांस के मार्सेल्स नगर पहुंचा। उसने यहीं पर 1831 ई. में 'युवा इटली' (Young Italy जिओवेन इटालिया) नामक गुप्त संस्था की स्थापना की। 
  • इस संस्था की सदस्यता के लिए 40 वर्ष से कम उम्र का कोई भी नवयुवक प्रवेश के लिये योग्य था।
  • इसका ध्येय नवयुवकों को शिक्षित और अनुशासित बनाकर देश सेवा के लिये तैयार करना था। 
  • वह देश की तत्कालीन व्यवस्था से दुखी था और उसमें सुधार लाने का उपाय सोचता था। उसने देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा — 'हमारी प्रतिष्ठा और उन्नति अवरुद्ध है। हमारी शानदार प्राचीन परम्परा रही है परंतु वर्तमान में हमारा कोई राष्ट्रीय अस्तित्व नहीं है। इसके लिए ऑस्ट्रिया जिम्मेदार है। उसे विरुद्ध संगठित होकर उसका सामना करने की आवश्यकता है।' मेजिनी को 1930 ई. में असंतोष भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। वह लगभग 1 साल तक सेनोना की जेल में कैद रहा। 
  • मेजिनी का मानना था कि 'नये विचार तभी पनपते हैं जब उसे शहीदों के रक्त से सींचा जाता है।'
  • मेजिनी को विश्वास था कि इटली के युवकों में देश गौरव और प्रेम की भावना भरकर उन्हें स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये संगठित किया जाना चाहिए।
  • इसने इटली के राष्ट्रीय आन्देालन में शीघ्र ही कार्बोनरी का स्थान ले लिया। 
  • 'युवा इटली' के उद्देश्य के बारे में मेजिनी ने कहा, 'यंग इटली इटलीवासियों में भाईचारा उत्पन्न करने वाली ऐसी संस्था है, जो प्रगति और कर्तव्यपरायणता के सिद्धांतों में विश्वास करती है और इस बात से पूर्णतया सहमत है कि इटली शीघ्र ही एक सुसंगठित राष्ट्र बनेगा। सदस्य संस्था में इस पक्के निर्णय से सम्मिलित हुए हैं कि इटली ऐसा प्रभुता-सम्पन्न राष्ट्र बन सकें, जहां सभी मनुष्य स्वतंत्र और समान हो।'
  • इस संगठन के ध्वज में एक ओर एकता और स्वाधीनता और दूसरी ओर फ्रांसीसी क्रांति के पवित्र सिद्धांत स्वतंत्रता, समानता और मानवता शब्द अंकित किये गये थे।
  • मेजिनी ने कहा था, 'यदि समाज में क्रांति लानी है, तो नेतृत्व नवयुवकों के हाथ में दे दो, युवक समाज के हृदयों में असीम शक्ति छिपी होती है।' 
  • उसका उद्देश्य था इटली के लोगों को शिक्षित कर यह अनुभव करवाना कि इटली एक राष्ट्र है। 
  • ... हमें किसी तरह की कोई आजादी नहीं, जो भावनाएं हमारे अन्दर उबल रही हैं, उनको प्रकट करने का कोई साधन हमारे पास नहीं है। इन सबका कारण है कि विदेशी लोग हमें गुलाम बना रहे हैं। 
मेजिनी ने युवा इटली के माध्यम से इटली की जनता को तीन नारे दिये—
  1. परमात्मा में विश्वास रखो।
  2. सब भाइयों को एक साथ मिलाओ।
  3. इटली को मुक्त करो।
      उसके उद्देश्य से स्पष्ट थे- 
      • इटली की एकता और स्वतंत्रता की प्राप्ति तथा स्वतंत्रता, समानता और जन—कल्याण पर आधारित राज्य की स्थापना।
      • युवा इटली ने अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा, साहित्यिक प्रचार तथा यदि आवश्यक हो तो सशस्त्र क्रांति का सहारा लिया।
      • मेजिनी की लेखनी ने इटली की जनता में नवजीवन का संचार कर दिया।
      • मेजिनी के पास शीघ्र ही देशभक्त नवयुवक एकत्रित हो गये। इस प्रकार इटली के एकीकरण में जन आन्दोलन में परिवर्तित करने का श्रेय युवा इटली को ही है। मेजिनी के प्रयत्नों के फलस्वरूप युवा इटली की जगह-जगह शाखाएं खुलने लगीं।
      • 1833 ई. के आरम्भ में युवा इटली के सदस्यों की संख्या 60 हजार हो गयी। 


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