DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
Home2nd Year History

''रजिया इल्तुतमिश की योग्यतम उत्तराधिकारी थी।'' व्याख्या कीजिए, उसके पतन के क्या कारण थे?

byDivanshuGS -May 25, 2021
0

 

रजिया सुल्तान 1236-1240 ई.

 

अथवा

 

''वह उन सभी प्रशंसनीय गुणों तथा योग्यताओं से परिपूर्ण थी, जो एक सफल शासक के लिए आवश्यक थे, किंतु दुर्भाग्य से वह एक स्त्री थी।'' उपर्युक्त कथन के संदर्भ में रजिया की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?

 

उत्तर-

 

रजिया का शासनकाल 1236-1240 ई.

 

  • रजिया योग्य पिता की योग्य पुत्री थी। इतिहासकार मिनहाज के शब्दों में ''वह एक महान शासक, बुद्धिमती, न्यायप्रिय, उदार, विद्वानों की आश्रयदाता, प्रजा शुभ चिंतक, सैनिक गुणसंपन्न तथा उन सभी श्लाघनीय गुणों से पूर्ण थी। जो एक शासक के लिए आवश्यक है।''
  • इल्तुतमिश ने रजिया का पालन-पोषण एवं उसकी शिक्षा-दीक्षा राजकुमारों के समान की थी। उसको घोड़े की सवारी करना, तीर-तलवार चलाना, युद्ध की कला, सैन्य संचालन आदि सैनिक प्रशिक्षण प्रदान किए गए। उसने अपनी सैनिक एवं प्रशासनिक प्रतिभा का परिचय अनेक अवसरों पर अपने पिता को दिया था। जब 1231-32 ई. में इल्तुतमिश ने ग्वालियर की विजय के लिए प्रस्थान किया, तो उसने रजिया को राजधानी दिल्ली के प्रशासन एवं सुरक्षा का भार सौंपा था। रजिया ने इस जिम्मेदारी को बड़ी कुशलता के साथ निभाया था।
  • व्यक्तिगत दृष्टि से उसने भारत में पहली बार स्त्री के सम्बन्ध में इस्लाम की परम्पराओं का उल्लंघन किया और राजनीतिक दृष्टि से उसने राज्य की शक्ति को सरदारों अथवा सूबेदारों में विभाजित करने के स्थान पर सुल्तान के हाथों में केन्द्रित करने पर बल दिया। उसने इल्तुतमिश के सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न राजतंत्र के सिद्धान्त का समर्थन किया जो उस समय की परिस्थितियों में तुर्की राज्य के हित में था, परन्तु इसी कारण रजिया को प्रारम्भ से ही अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

 

रजिया का राज्यारोहण:

  • इल्तुतमिश ने अपने अयोग्य एवं निर्बल पुत्रों की अपेक्षा अपनी सुयोग्य पुत्री रजिया को अपने जीवनकाल में ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था, परंतु इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात् दिल्ली के अमीरों ने उसके पुत्र रुकुनुद्दीन फिरोजशाह को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया, क्योंकि दरबारी अमीरों का एक स्त्री की अधीनता में कार्य करना स्वीकार नहीं था। रुकुनुद्दीन नितान्त अयोग्य शासक सिद्ध हुआ और साम्राज्य में चारों ओर अराजकता फैल गई। इन परिस्थितियों का रजिया ने फायदा उठाया और अमीरों को अपने पक्ष में कर लिया।
  • रुकुनुद्दीन फिरोज शाह की हत्या के बाद 6 नवम्बर, 1236 ई. को रजिया दिल्ली की गद्दी पर आरुढ़ हुई। रजिया का सुल्तान बनना अपूर्व घटना कही जा सकती है। पूर्व मध्यकालीन भारत में मुस्लिम राज्यों में ​रजिया एक मात्र स्त्री थी जिसे सुल्तान बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।

 

प्रारम्भिक जीवन

  • रजिया का सुल्तान होना तत्कालीन प्रान्तपतियों एवं अनेक अमीरों को असह्य था। बदायूं, झांसी, मुल्तान तथा लाहौर के प्रान्तपतियों ने अपनी-अपनी सेनाओं के साथ दिल्ली को घेर लिया। रजिया अत्यन्त साहसी स्त्री थी। उसने कूटनीति का सहारा लिया तथा विद्रोहियों में फूट डलवा दी। इस प्रकार कूटनीति से उसने विद्रोह को दबा दिया तथा पंजाब, सिन्ध, मुल्तान तथा बंगाल के प्रतिनिधियों ने रजिया का आधिपत्य स्वीकार कर लिया।

 

प्रशासन को सक्षम बनाने का प्रयास

  • रजिया ने प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रूप देने के लिए कुछ आवश्यक परिवर्तन एवं नवीन नियुक्तियां कीं। रजिया ने स्वयं अब पर्दा करना छोड़ दिया तथा पुरुषों के वस्त्र धारण करने लगी और दरबार में बैठने व शासन के प्रत्येक विभाग का निरीक्षण करने लगी। रजिया का मुख्य उद्देश्य शासन व्यवस्था में तुर्क अधिकारियों के आधिपत्य को कम करना तथा गैर-तुर्कों को महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर नियुक्त करना था। अतः रजिया ने कबीर खां ऐयाज को लाहौर का प्रान्तपति, अल्तूनिया को भटिण्डा का प्रान्तपति तथा ख्वाजा मुहाजबुद्दीन को वजीर, ऐबक बहूत को सेनाध्यक्ष व जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-आखूर (शाही घोड़ों का संरक्षक) नियुक्त किया तथा रजिया को इसका भारी मूल्य चुकाना पड़ा।

 

रजिया का पतन

  • रजिया को सबसे पहले लाहौर के सूबेदार कबीर खाँ के विद्रोह की सूचना मिली। उसने रणक्षेत्र में कबीर खाँ को परास्त किया। इसके बाद वह भटिण्डा के विद्रोही शासक मलिक इख्तियारुद्दीन अल्तूनिया को दबाने के लिए आगे बढ़ी, याकूत भी उसके साथ था। अल्तूनिया ने रजिया को पराजित किया। याकूत मार डाला गया और रजिया बन्दी बना ली गई, पर रजिया ने चतुराई से काम लेते हुए अल्तूनिया से विवाह कर लिया।
  • रजिया और अल्तूनिया तो एक हो गए, पर इसी बीच तुर्की सरदारों ने रजिया के भाई बहरामशाह को दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया। अतः रजिया और अल्तूनिया दिल्ली पर अधिकार करने के लिए रवाना हुए और रास्ते में कैथल के समीप 13 अक्टूबर, 1240 को दोनों पक्षों में घमासान युद्ध हुआ जिसमें रजिया और अल्तूनिया को बन्दी बना लिया गया तथा दोनों का वध कर दिया गया।

 

रजिया का मूल्यांकन

  • इतिहासकार मिनहाज–उस सिराज के अनुसार रजिया ने 3 वर्ष, 6 माह, 6 दिन राज्य किया। दिल्ली की सुल्तान बनने वाली वह एकमात्र स्त्री थी और मिनहाज-उस सिराज के अनुसार, "उसमें वे सभी प्रशंसनीय गुण थे जो एक सुल्तान में होने चाहिए।"
  • डॉ. श्रीवास्तव के अनुसार, ''इल्तुतमिश के वंश में रजिया प्रथम तथा अंतिम सुल्ताना थी, जिसने अपनी योग्यता और चारित्रिक बल से दिल्ली सल्तनत की राजनीति पर अधिकार रखा।''
  • दुर्भाग्यवश स्त्री होने के कारण वह मुस्लिम सरदारों का सहयोग न प्राप्त कर सकी। एलफिन्स्टन ने लिखा है, ''यदि रजिया स्त्री न होती, तो आज उसका नाम भारत के महान मुस्लिम शासकों में गिना जाता।'' प्रो. हबीब एवं निजामी ने लिखा है, ''इस तथ्य से कदापि इंकार नहीं किया जा सकता  कि इल्तुतमिश के उत्तराधिकारियों में वह योग्यतम थी।''
  • परंतु वहीं इतिहासकार उसके चारित्रिक गुणों को बताते हुए अन्त में लिखते हैं— "ये सभी श्रेष्ठ गुण किस काम के थे?" निःसन्देह सिराज का उक्त कथन यह संकेत करता है कि रजिया की एकमात्र दुर्बलता उसका स्त्री होना था।
  • कुछ इतिहासकारों ने रजिया की असफलता का मुख्य कारण रजिया का स्त्री होना बताया है, परंतु आधुनिक इतिहासकार इस धारणा से सहमत नहीं है। उनका मत है कि गुलाम तुर्क सरदारों की महत्त्वाकांक्षा तथा रजिया द्वारा सुल्तान की शक्ति एवं सम्मान में वृद्धि करने की इच्छा के कारण रजिया का पतन हुआ। निःसन्देह रजिया स्त्री थी परन्तु यह उसके विरोधियों द्वारा उसे नष्ट करने का एक बहाना मात्र था। सुल्ताना रजिया ने स्त्री होकर भी स्त्री होने की किसी दुर्बलता का परिचय नहीं दिया। 
  • वह योग्य, शिक्षित, दयालु, कर्त्तव्यपरायण, साहसी, कुशल सैनिक और योग्य सेनापति थी। वह कौशलयुक्त और कूटनीतिज्ञ भी थी। वह राज्य के स्थायी हितों से अवगत थी और उनकी पूर्ति के लिए उसने निरन्तर प्रयत्न किए। सुल्तान की प्रतिष्ठा और शक्ति में उसकी आस्था थी तथा उसने उन्हें स्थापित करने का प्रयत्न किया। इल्तुतमिश को अपनी पुत्री की योग्यता में विश्वास था और वह पुत्री भी अपने पिता के विश्वास के अनुरूप सिद्ध हुई थी। प्रो. के.ए. निजामी ने लिखा है— "इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इल्तुतमिश के उत्तराधिकारियों में वह सबसे श्रेष्ठ थी।"

Tags: 2nd Year History B.A History
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post
Responsive Advertisement

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

भारतेन्दु युगीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां

प्रधानमंत्री ने राजस्थान की विभिन्न पंचायतों को किया पुरस्कृत

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (26)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

सातवाहन वंश का कौन-सा शासक व्यापार और जलयात्रा का प्रेमी था?

DivanshuGS- February 15, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (128)
  • JPSC (5)

Online टेस्ट दें और परखें अपना सामान्य ज्ञान

DivanshuGeneralStudyPoint.in

टेस्ट में भाग लेने के लिए क्लिक करें

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form