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हल्दीघाटी के युद्ध में एकमात्र इतिहासकार उपस्थित थे


 
हल्दीघाटी का युद्ध



हल्दीघाटी के युद्ध को इतिहासकारों ने अलग अलग नामों से पुकारा, जो इस प्रकार है:

  • अबुल फजल ने 'खमनोर का युद्ध'
  • बदायूँनी ने 'गोगुंदा का युद्ध'
  • कर्नल जेम्स टॉड ने 'मेवाड़ की थर्मोपल्ली' नामों से।

हल्दीघाटी के युद्ध में एकमात्र इतिहासकार उपस्थित थे- बदायूँनी

  • महाराणा का पठान सेनानायक- हकीम खां सूर (हरावल)
  • मुगल सेना नायक: मान सिंह कछवाहा
  • प्रताप की सेना का जनरल: महाराणा प्रताप 
  • कमांडर: शेरशाह का उत्तराधिकारी हकीम खां सूर 
  • अकबर की सेना का जनरल: आसिफ खान 
 

युद्ध में मौजूद हाथियों के नाम:-

  • हल्दीघाटी में मानसिंह जिस हाथी पर सवार थे वह मर्दाना नामक हाथी था।
  • अकबर के हाथी का नाम हवाई तथा
  • अन्य प्रसिद्ध हाथी लूणा, रामप्रसाद गजमुक्त, गजराज।

अकबर द्वारा महाराणा प्रताप से बातचीत हेतु भेजे गए दूतों का सही क्रम चुने-
अ. जलाल खां, मानसिंह, भगवंत दास, टोडरमल
ब. मानसिंह, जलाल खां, टोडरमल, भगवंत दास
स. जलाल खां, टोडरमल, मानसिंह, भगवंत दास
द. टोडरमल, जलाल खां, मानसिंह, भगवंत दास
उत्तर- अ
व्याख्या-
अकबर ने महाराणा प्रताप से वार्ता करने के लिए चार शिष्टमंडल भेजे जो क्रमशः निम्न प्रकार से थे-
जलाल खां को अगस्त, 1572 में
मानसिंह को 1573 में,
भगवंत दास को अक्टूबर, 1573 में और अंत में
टोडरमल को दिसंबर, 1573 में भेजा।
जब अकबर प्रताप को अपनी अधीनता स्वीकार न करा सका तो 18 जून, 1576 को हल्दीघाटी का युद्ध हुआ।

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