मंगोल आक्रमण


  • मंगोल अत्यन्त शक्तिशाली थे तथा उनके आक्रमण से भारत के उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रान्त व पंजाब की शांति भंग हो गयी। अलाउद्दीन के शासक के प्रारम्भिक वर्षों में मंगोलों ने निरन्तर आक्रमण किये।

पहला आक्रमण 
  • अलाउद्दीन को राजसिंहासन पर आसीन हुए कुछ माह भी नहीं हुए थे कि 1296 ई. में कादर के नेतृत्व में मंगोलों ने आक्रमण किया। उनका सामना करने के लिए अलाउद्दीन ने जफरखां के नेतृत्व में सेना भेजी। जफरखा ने जालंधर के समीप मंगोलों को परास्त किया।

दूसरा आक्रमण  

  • 1297 ई. में मंगोलों ने पुनः आक्रमण किया। इस बार उनका नेतृत्व देवा तथा साल्दी कर रहे थे। मंगोलों ने सीरी के किले पर अधिकार कर लिया। बड़ी संख्या में मंगोलों को बन्दी भी बनाया गया। इस विजय में जफरखां की लोकप्रियता में वृद्धि हुई।

तीसरा आक्रमण 

  • मंगोलों द्वारा तीसरा आक्रमण 1299 ई. में कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में हुआ। यह आक्रमण अत्यन्त प्रबल था तथा इसकी उल्लेखनीय बात यह थी कि इस बार मंगोल लूटपाट करने नहीं वरन् अपना शासन स्थापित करने के उद्देश्य से आये थे। मंगोल दिल्ली के निकट तक पहुंच गये थे।
  • अलाउद्दीन को उसके मित्रों ने सन्धि करने का परामर्श दिया, किन्तु ऐसा करना अलाउद्दीन कायरता समझता था। अलाउद्दीनने शीघ्र ही मंगोलों पर आक्रमण किया। उसकी सेना का नेतृत्व जफरखा ने किया व मंगोलों को पराजित किया, किन्तु इस युद्ध में जफरखां मारा गया।
  • चौथा आक्रमण तार्गी के नेतृत्व में 1301 ई. में हुआ। उस समय अलाउद्दीन चित्तौड़ विजय के लिए गया हुआ था।
  • पांचवां आक्रमण 1304 ई. में अलीबेग के नेतृत्व में हुआ।

  • मंगोलों ने 1306 में कबक तथा 1307-08 में इकबालमन्द के नेतृत्व में आक्रमण किये। 

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