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भारतीय संवत्


  • प्राचीन भारतीय लेखों में उल्लिखित अधिकांश तिथियाँ किसी-न- किसी संवत् से संबद्ध हैं। 
  • प्रमुख संवतों का उल्लेख निम्नवत् है- 
विक्रम संवत् 
  • विक्रम संवत् का आरंभ 57 ई.पू. में हुआ था। इतिहासकारों के एक समूह की मान्यता है कि विक्रम संवत् का आरंभ उज्जैन के शासक विक्रमादित्य द्वारा शकों पर विजय प्राप्त करने के बाद किया गया था, वहीं इतिहासकारों के दूसरे वर्ग के अनुसार इस संवत् का प्रारंभ ‘मालव गणराज्य’ द्वारा किया गया था। 
  • कालांतर में गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा मालवा विजय के पश्चात इसका नाम विक्रम संवत् रखा गया। 
शक संवत् 
  • शक संवत् या शालिवाहन संवत् का आरंभ 78 ई. से माना जाता है। 
  • पारम्परिक मान्यता के अनुसार यह माना जाता है कि इसका प्रचलन सम्राट कनिष्क ने शकों पर विजय प्राप्त करने या सिंहासनारुढ़ होने के उपरांत किया था। 
  • भारत का वर्तमान राष्ट्रीय पंचांग (कैलेंडर) इसी संवत् पर आधारित है। 
  • 365 दिन के सामान्य वर्ष में शक संवत् में वर्ष का पहला दिन 1 चैत्र, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, प्रतिवर्ष 22 मार्च या अधिवर्ष में 21 मार्च को पड़ता है। 
कलचुरि-चेदि संवत् 
  • संभवतः इसकी शुरुआत 248-49 ई. के लगभग पश्चिमी भारत के आमीर नरेश ईश्वरसेन द्वारा की गई थी। 
  • मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के कलचुरि शासकों द्वारा उनके लेखों में इसी संवत् का प्रयोग किया गया। 
गुप्त संवत् 
  • गुप्त संवत् की शुरुआत गुप्त वंश के शासक चंद्रगुप्त प्रथम ने 319 ई. में की थी। अतः चक्रवर्ती गुप्त राजाओं तथा उनके सामंतों के लेखों में गुप्त संवत् का प्रयोग मिलता है। 
वल्लभी संवत् 
  • वल्लभी संवत् की जानकारी अलबरूनी के विवरण से मिलती है। वह लिखता है कि वल्लभ नामक राजा ने शक काल के 241 वर्ष बाद वल्लभी संवत् का प्रवर्तन किया था। इस प्रकार इसकी स्थापना तिथि 78 $ 241 त्र 319 ई. निकाली जाती है। 
  • यही तिथि गुप्त संवत् की भी है। अतः दोनों संवत् एक प्रतीत होते हैं। \
हर्ष संवत् 
  • हर्ष संवत् का संबंध वर्धन वंश के शासक हर्षवर्धन से है। हर्ष के लेखों, समकालीन उत्तरगुप्त राजाओं तथा नेपाल के लेखों में इस संवत् का प्रयोग पाया जाता है।
  • हर्ष के लेखकों द्वारा राज्यारोहण की तिथि 606 ई. बताई गई है। अतः संभवतः हर्ष संवत् का प्रारंभ इसी समय हुआ होगा।

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