मुसोलिनी

मुसोलिनी

सरकार की अकर्मण्यता -

  • इटली की जनता वर्साय संधि की घोर विरोधी थी।
फासिस्ट कौन थे? - युद्धों में लड़ चुके सैनिक 
  • फासिस्ट आन्दोलन के समर्थकों को अधिकांश धन, व्यावसायियों और जमींदारों से प्राप्त होता था, क्योंकि वे साम्यवाद की आशंका से डरे हुए थे।

फासिस्ट नेता मुसोलिनी का उदय -

  • समाजवादियों से घृणा करने वाले फासिस्टों का नेता, एक समय समाजवादी रहा, बेनिटो मुसोलिनी था।
  • उसने मिलान से ‘पोपोलो डी इटेलिया’ नामक दैनिक समाचार पत्र में ऐसे उत्तेजक लेख लिखे, जिसके कारण इटली मई, 1915 में मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में सम्मिलित हो गया।
  • जन्मः रोमाग्ना शहर, 1883 ई. में
  • 1912 ई. में वह समाजवादी पत्रिका ‘अवंती’ का सम्पादक बन गया।
  • 1915 ई. में वह सेना में भर्ती हो गया। 1917 में छोड़ दी।
  • मुसोलिनी के आदश्र नायक जूलियस सीजर और नेपोलियन थे।
  • वह कहा करता था ‘फासिस्टवादी दावे से कहता है कि सभी मनुष्य असमान हैं।’
  • मुसोलिनी - महायुद्ध की समाप्ति के बाद के दो वर्ष 1919 और 1920 मुझे इटली के जीवन के सर्वाधिक अंधकारपूर्ण एवं कष्टदायक प्रतीत हुए।
  • मुसोलिनी ने 23 मार्च, 1919 ई. को मिलान नगर में ‘फासियो डी कम्बेटिमेन्टा’ या फासी (सैन्यदल) की स्थापना की।
  • ‘फासियो’ शब्द लेटिन भाषा के ‘फासेस’ का रूपान्तर था, जिसका अर्थ होता है, ‘‘गट्ठा या समूह’’
  • इस संगठन के आरम्भिक सदस्यों की संख्या केवल 54 थी।
  • उसमें भूतपूर्व सैनिक तथा उग्र विचारों के राष्ट्रवादी लोग थे। इस दल ने अपना प्रारम्भिक ध्येय युद्ध से लौटकर आये सैनिकों को न्यायोचित अधिकार दिलवाना तथा उनके हितों की रक्षा करना, देश की आंतरिक नीति में कुछ परिवर्तन करना और अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में इटली की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए काम करना था।
  • इस दल के स्वयंसेवक काली कमीज पहनते थे, अस्त्र-शस्त्र धारण करते थे और अनुशासनप्रिय थे। उनका अपना ध्वज था। 
  • मुसोलिनी दल का प्रधान कमाण्डर था जिसे ‘ड्यूस’ कहा जाता था। उसने अपने घोषणा-पत्र में अपने दल का निम्नलिखित कार्यक्रम प्रस्तुत किया -

  1. हथियार बनाने वाले कारखानों का राष्ट्रीयकरण किया जाए
  2. कुछ उद्योगों पर मजदूरों का नियंत्रण स्थापित किया जाए
  3. मजदूरों से 8 घंटे से अधिक काम न लिया जाए
  4. युद्धकाल में पूंजीपतियो ने जो मुनाफा कमाया है उसका 85 प्रतिशत जब्त कर लिया जाय
  5. चर्च की सम्पत्ति जब्त कर ली जाय
  6. देश का नया संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा गठित की जाय, जिसमें आनुपातिक निर्वाचन प्रणाली तथा व्यस्क मताधिकार को स्वीकार किया। (सीनेट की समाप्ति)
  7. फ्यूम तथा डाल्मेशिया पर इटली का अधिकार स्थापित किया जाय।
  8. आर्थिक कौंसिलों का निर्माण किया जाय और उन्हें कानून बनाने के लिए अधिकार प्रदान किये जाय
  • मुसोलिनी - ‘फासीवाद यथार्थ पर आधारित है, जबकि साम्यवाद सिद्धांत पर। हम सिद्धांत तथा विवाद क बादलों से निकलना चाहते है।’
  • मेरीयन आइरिश - अपने विकसित रूप में फासीवाद एक दल का शासन है, जिस पर तानाशाह का नियंत्रण रहता है। यह तानाशाह सर्वाधिकार पूर्ण राज्य की स्थापना चाहता है।
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फासीवाद के स्रोत -
  • यह मौलिक दर्शन नहीं, अनेक विचारधाराओं का मिश्रण है।
  • फासीवाद के समर्थक अवसरवादी थे। कार्य में विश्वास, बात से नहीं
  • मुसोलिनी डार्विन से अधिक प्रभावित था। 
  • परम्परावादी
  • फासीवाद का मुख्य स्रोत बुद्धि विरोधवाद है।
फासिस्टों के उद्देश्य
  • फासीवाद व्यक्तिवाद, पूंजीवाद, अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद, उदारवाद और लोकतंत्रवाद का कट्टर विरोधी था।
  • वह ‘राज्य’ को सर्वश्रेष्ठ मानता था। राज्य के भीतर सब कुछ है, राज्य के बाहर कुछ नहीं, राज्य के विरूद्ध कुछ भी नहीं है।
  • फासीवाद एक दल, एक नेता और एक शासन में विश्वास रखता था। यह युवकों का आह्वान करता था - विश्वास करो, आज्ञा मानों और लड़ों।
  • फासिस्टों के मुख्य उद्देश्य थे- राज्य की शक्ति एवं सत्ता को बढ़ाना, निजी सम्पत्ति की रक्षा, शक्तिशाली सैन्य संगठन, साम्यवाद का विरोध, विदेशी नीति, व्यापार व उद्योग धंधों की रक्षा आदि।
मुसोलिनी द्वारा सत्ता प्राप्ति
  • 1919 ई. के संसदीय चुनावों में फासिस्टों को कोई भी स्थान प्राप्त नहीं हुआ।
  • मुसोलिनी - ‘आज फासिज्म एक पार्टी है, एक फौज है, एक संस्था है, किन्तु यह काफी नहीं है। इसे इटली की आत्मा बनकर रहना चाहिए।’
  • तुम खतरनाक बनकर जीवन बिताओं। अगर मैं आगे बढ़ता हूँ, तो मेरा अनुसरण करों और यदि मैं पीछे हटता हूं तो मुझे गोली मार दो। मैं शांति में विश्वास नहीं करता।
फासिस्टों द्वारा रोम पर धावा -
  • अक्टूबर 1922 में नेपल्स में फासिस्ट दल का सम्मेलन हुआ। 40 हज़ार से अधिक फासिस्अ एकत्रित हुए
  • युद्ध की तिथि 27 अक्टूबर निश्चित, मुसोलिनी ने निम्नलिखित मांगे प्रस्तुत की-
  1. केबिनेट में फासिस्ट दल के पांच सदस्यों को सम्मिलित किया जाए,
  2. नये चुनाव कराने की घोषणा की जाए
  3. सरकार विदेश नीति का दृढ़ता से पालन करें और 
  4. आर्थिक सुधारों को यथाशीघ्र क्रियान्वित किया जाए।
  • इन मांगों के अतिरिक्त मुसोलिनी ने सम्मेलन के खुले अधिवेशन में शासन सत्ता फासिस्टों को सौंपने की भी मांग की थी।
  • इटली की सरकार ने मांगों को अस्वीकार कर दिया।
  • प्रधानमंत्री फेक्टा, 28 अक्टूबर को फेक्टा की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया।
  • राजा विक्टर इमेन्युअल तृतीय ने 29 अक्टूबर को मुसोलिनी को नया मंत्रिमंडल बनाने के लिए आमंत्रित किया।
  • 30 अक्टूबर,1922 ई. को मुसोलिनी रोम पहुंचा, शपथ ली।
  • मुसोलिनी के नये मंत्रिमंडल में 4 मंत्री और 9 उपमंत्री फासिस्ट दल के थे और शेष दक्षिणपंथी, उदारवादी, पापुलिस्ट, राष्ट्रवादी एवं सोशल डेमोक्रेटिक दल के थे।
  • उसने विक्टोरिया बेनेटो के युद्ध के विजेता डियाज को सेना का प्रधान अधिकारी बनाकर सेना की स्वामिभक्ति प्राप्त कर ली। 
  • प्रान्तों में ‘प्रिफेक्ट’ के पदों तथा पुलिस विभाग एवं अधिकारी तंत्र के प्रमुख पदों पर फासिस्टों की नियुक्ति की गई।
  • एक राष्ट्रीय सेना का भी गठन किया, जिसमें फासिस्ट दल के सशस्त्र नवयुवकों को स्थान मिला।
  • गैथोर्न हार्डी- 
  • इतिहास के व्यापक दृष्टिकाण से इटली के हाल के इतिहास में अक्टूबर 1922 ई. में फासिस्ट शासक की स्थापना का सबसे अधिक अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की घटना कहा जा सकता है।
मुसोलिनी के अधिनायक तंत्र की स्थापना

  • मुसोलिनी जनतंत्र का विरोधी था। उसके अनुसार राज्य सर्वोपरि है। वह राज्य को साध्य तथा व्यक्ति को साधन मानता है। वह राज्य के सम्मुख व्यक्ति की सत्ता को स्वीकार नहीं करता था।
  • शासन संचालन के लिए निम्नलिखित प्रशासनिक अंगों की व्यवस्था की-
  • मिनिस्ट्री - इसका संगठन केबिनेट की भांति किया। मुसोलिनी के समर्थक 
  • ग्राण्ड कौंसिल ऑफ फासिस्ट पार्टी- फासिस्ट दल की समिति, नेता मुसोलिनी, 25 व्यक्ति सदस्य थे।
  • पार्लियामेण्ट - दो सदनों की व्यवस्था की।
  • पहला  सीनेट- सदस्यों की नियुक्ति मुसोलिनी करता, सदस्यों की सदस्यता आजीवन होती थी।
  • दूसरा सदन चेम्बर ऑफ डिपुटीज - सदस्यों की नियुक्ति मंत्रिमण्डल तथा ग्राण्ड कौंसिल ऑफ फासिस्ट पार्टी द्वारा
  • शासन की सम्पूर्ण शक्ति मुसोलिनी क हाथ में थी।
  • 1924 ई. में सामान्य निर्वाचन 
  • समाजवादी नेता मेटिओटी ने संसद के प्रथम अधिवेशन से ही चुनाव को रद्द करके नये चुनाव कराने की मांग की।
  • प्रधानमंत्री के रूप मुसोलिनी केवल शासन के प्रति उत्तरदायी था।
  • वह जल, थल एवं वायु सेना का सर्वोच्च सेनाध्यक्ष था।
  • नगरों में निर्वाचित नगरपालिकाओं के स्थान पर केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त ‘पोडेस्टा’ च्वकमेजं नामक अधिकारियों को स्थानीय शासन का कार्य सौंपा गया।
  • रोम, नेपल्स, मिलान आदि बड़े शहरों के प्रशासन केे लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा ‘गवर्नर’ या विशेष आयुक्त नियुक्त किये गये।
  • न्यायालयों में ‘जूरी पद्धति’ समाप्त कर दी गई। राज्य सुरक्षा के लिए विशेष न्यायालय स्थापित किये। जिनमें फासिस्ट सैनिक व असैनिक पदाधिकारियों व राजनीतिक मामलों का निर्णय करने का अधिकार दिया गया।
  • 1926 ई. में सभी विरोधी दलों का अंत
  • समाचार-पत्रों पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिये गये।
  • फासिस्ट शासन के विरूद्ध षड्यंत्र रचने वालों का पता लगाने के लिए एक गुप्त पुलिस की भी व्यवस्था की गई, जिसे ओवरा कहा जाता था।
  • उसने अध्यापन, पाठ्यपुस्तकों, समाचार-पत्रों, रेड़ियो और यहां तक कि डाक प्रणाली को भी सेंसर किया।
  • विद्यालयों के छात्रों को बार-बार यह रटाया जाता था- मुसोलिनी सदा ठीक ही करता है।
  • राजा और संसद फासिस्ट शक्ति के लिए केवल मोर्चे मात्र बन गये।
  • मुसोलिनी ‘हमने स्वतंत्रता की सड़ती हुई लाश को दफना दिया है।’
  • फासिस्ट युवक संगठन का निर्माण
  • प्राइमरी और माध्यमिक पाठशालाओं में फासिस्ट सिद्धांतों की शिक्षा देना अनिवार्य कर दिया-
  • 8 से 14 वर्ष तक की आयु तक के बालकों के लिए ‘बालिल्ला’ ठंसपससं, 15-18 तक के किशोरों के लिए ‘अवान गार्डिया’ Avanguaralia और 19-21 वर्ष तक के नवयुवकों के लिए ‘गियोवनी फासिस्टी’ Giovani Fascisti नामक संस्थाएं स्थापित की गई।
  • बलिकाओं के लिए 12 वर्ष से कम ‘पिकोले इटालियन Piccole’ एवं ‘गियोवानी इटालियन’ नामक दो संस्थाएं बनाई।
  • 11 फरवरी, 1929 को पोप के साथ समझौते कर लिय जिसे ‘लेटरन समझौता’ कहते है।

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