मांग की अवधारणा

 


मांग में तीन तत्व सम्मिलित होते हैं- 

1. किसी वस्तु की इच्छा या आवश्यकता

2. इस वस्तु को खरीदने के लिए मुद्रा या पैसा, 

3. इस वस्तु को खरीदने के लिए पैसा खर्च करने की इच्छा।


  • अगर किसी वस्तु की इच्छा है लेकिन आपके पास उसे खरीदने के लिए पैसा नहीं है तो यह मांग नहीं होगी।
  • साथ ही अगर आप के पास पैसा है तो भी इस वस्तु को खरीदने के लिए पैसा खर्च करने की इच्छा भी होनी चाहिए।
  • मांग सर्वथा कीमतों के साथ सम्बन्धित रहती है। ऐसा कहा जाता है कि किसी विशिष्ट कीमत पर किसी वस्तु की मांग अमुक है।


मांग की परिभाषा 


  • किसी दी हुई कीमत पर किसी वस्तु की मांग उस मात्रा से है जो कि उस नियत समय पर उस दी हुई कीमत पर खरीदा जाएगा
  • एक निश्चित समय में वस्तु की एक निश्चित कीमत पर किसी वस्तु की इच्छा हो और उसे खरीदने के लिए पर्याप्त साधन हों तथा साधन को उस पर खर्च करने की तत्परता हो, तो वह इच्छा मांग कहलाती है। 
  • मांग से तात्पर्य उस वस्तु की मात्रा से है, जो उपभोक्ता विभिन्न कीमतों पर खरीदने के लिए तत्पर रहता है। मांग की अवधारणाा के साथ स्थान, समय व कीमत तीनों आते हैं।


बाजार मांग

  • प्रत्येक बाजार में किसी वस्तु के अनेक खरीददार होते हैं। 

उदाहरणः

  • माना कि अनार कीमत 60 रुपये प्रतिकिलो होने पर A उपभोक्ता की मांग 4 किलोग्राम है तथा B उपभोक्ता की मांग 3 किलोग्राम है और अर्थव्यवस्था में माना दो ही उपभोक्ता है तो 60 रुपये प्रति किलोग्राम अनार की कीमत पर बाजार मांग दोनों उपभोक्ता द्वारा मांगी जाने वाले अनार की मात्रा के योग के बराबर होगी।
  • अतः इस कीमत पर बाजार मांग 4+3= 7 किलोग्राम होगी।


  • अतः बाजार मांग से तात्पर्य है कि किसी दी हुई कीमत पर समस्त उपभोक्ताओं द्वारा मांगी जाने वाली वस्तु की मात्राओं का योग बाजार मांग कहलाता है। किसी उपभोक्ता द्वारा वस्तु की मांग अनेक कारकों जैसे वस्तु की कीमत, उपभोक्ता की आय, उपभोक्ता की रुचि और अधिमान पर निर्भर करती है। 


प्रश्न

बाजार मांग (Bazar Mang) है?

  • - किसी दी हुई कीमत पर समस्त उपभोक्ताओं द्वारा मांगी जाने वाली वस्तु की मात्राओं का योग ।


वस्तु की मांग किन कारकों पर निर्भर करती है?

  • - वस्तु की कीमत, उपभोक्ता की आय, उपभोक्ता की रुचि और अधिमान पर


मांग अनुसूची (Mang Anushuchi)


मांग अनुसूची बनाते समय सिर्फ वस्तु की स्वयं की कीमत में परिवर्तन के प्रभाव को वस्तु की मांगी जाने वाली मात्रा पर प्रभाव को सारणी रूप में दिखाया जाता है। इसके अलावा सभी कारक जो मांग को प्रभावित करते हैं उन्हें स्थिर मान लेते हैं।


मांग अनुसूची के दो प्रकार हैं-

1. वैयक्तिक मांग अनुसूची

2. बाजार मांग अनुसूची


वैयक्तिक मांग अनुसूची


  • किसी एक निश्चित समय में एक व्यक्तिगत उपभोक्ता द्वारा विभिन्न कीमतों पर मांगी जाने वाली वस्तु की मात्रा को सारणी रूप में प्रकट करने पर वैयक्तिक मांग अनुसूची प्राप्त होती है।


वैयक्तिक मांग अनुसूची



  • इस काल्पनिक वैयक्तिक मांग अनुसूची में जब अनार की कीमत 25 रुपये प्रति किलोग्राम है तो किसी एक उपभोक्ता द्वारा अनार की मांगी जाने वाली मात्रा 1 किलोग्राम है। 
  • जब अनार की कीमत बढ़कर 50 रुपये हो जाती है तो अनार की मांगी जाने वाली मात्रा घटकर 570 ग्राम हो जाती है। 
  • जब अनार की कीमत बढ़कर 100 रुपये प्रति किलोग्राम होती है तो अनार की मांगी जाने वाली मात्रा 250 ग्राम है। 
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बाजार मांग अनुसूची


  • किसी एक निश्चित समय में सभी उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न कीमतों पर मांगी जाने वाली वस्तुओं की मात्रा का योग सारणी के रूप में दर्शाये जाने पर बाजार मांग अनुसूची प्राप्त होती है। 
  • हम यह मानते हैं कि बाजार में दो उपभोक्ता A व B हैं तथा विभिन्न कीमतों पर उनके द्वारा मांगी जाने वाली वस्तु अनार की कीमत निम्न सारणी के अनुसार है। बाजार मांग दोनों उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न कीमतों पर मांगी जाने वाली अनार की मात्रा का योग है।


बाजार मांग


- दोनों उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न कीमतों पर मांगी जाने वाली अनार की मात्रा का योग।


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