DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeScience

प्राणी जगत के वर्गीकरण का आधार

byDivanshuGS -April 20, 2021
0


प्राणी जगत के वर्गीकरण का आधार


  • प्राणियों की संरचना एवं आकार में भिन्नता होते हुए भी उनकी कोशिका व्यवस्था, शारीरिक सममिति, प्रगुहा की प्रकृति, पाचन-तंत्र, परिसंचरण-तंत्र व जनन-तंत्र की रचना में ​कुछ आधारभूत समानताएं पाई जाती हैं। 

संगठन के स्तर

  • यद्यपि प्राणि जगत के सभी सदस्य बहुकोशिक हैं, लेकिन सभी एक ही प्रकार की कोशिका के संगठन को प्रदर्शित नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, पोरीफेरा (स्पंज) में कोशिका बिखरे हुए समूहों में हैं अर्थात् वे कोशिकीय स्तर (Cellular level) का संगठन दर्शाती हैं। कोशिकाओं के बीच श्रम का कुछ विभाजन होता है। 
  • सीलेन्ट्रेटा कोशिकाओं की व्यवस्था अधिक होती हैं। उसमें कोशिकाएं अपना कार्य संगठित होकर ऊतक के रूप में करती हैं। इसलिए इसे ऊतक स्तर (Tissue level) का संगठन कहा जाता है। 
  • इससे उच्च स्तर का संगठन जो प्लेटीहेल्मिंथीज के सदस्य तथा अन्य उच्च संघों में पाया जाता है जिसमें ऊतक संगठित होकर अंग का निर्माण करता है और प्रत्येक अंग एक विशेष कार्य करता है। 
  • प्राणी में जैसे, ऐनेलिड, आर्थोपोड, मोलस्क, एकाइनोडर्म तथा रज्जुकी के अंग मिलकर तंत्र के रूप में शारीरिक कार्य करते हैं। प्रत्येक तंत्र एक विशिष्ट कार्य करता है। इस तरह की संरचना अंगतंत्र (Organ System level ) के स्तर का संगठन कहा जाता है। विभिन्न प्राणि समूहों में अंगतंत्र विभिन्न प्रकार की जटिलताएं प्रदर्शित करते हैं।  
  • उदाहरण के लिए पाचन भी अपूर्ण व पूर्ण होता है। 
  • अपूर्ण पाचन तंत्र में एक ही बाह्य द्वार होता है, जो मुख तथा गुदा दोनों का कार्य करता है, जैसे प्लेटीहेल्मिंथीज।
  • पूर्ण पाचन-तंत्र में दो बाह्य द्वार होते हैं मुख तथा गुदा।  
  • परिसंचरण-तंत्र दो प्रकार का है खुला तथा बंद।

  1. खुला परिसंचरण तंत्र में रक्त का बहाव हृदय से सीधे बाहर भेजा जाता है तथा कोशिका एवं ऊतक इसमें डूबे रहते हैं।   
  2. बंद परिसंचरण तंत्र रक्त का संचार हृदय से भिन्न-भिन्न व्यास की वाहिकाओं के द्वारा होता है। उदाहरण : धमनी, शिरा तथा कोशिकाएं


सममिति (Smmetry)

  • प्राणी को सममिति के आधार पर भी श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। 
  • स्पंज] अमीबा, पाइला मुख्यतः असममिति (Asymmetry) होते हैं अर्थात् किसी भी केंद्रीय अक्ष से गुजरने वाली रेखा इन्हें दो बराबर भागों विभाजित नहीं करती। 
  • जब किसी भी केंद्रीय अक्ष से गुजरने वाली रेखा प्राणि के शरीर को दो समरूप भागों में विभाजित करती है तो इसे अरीय सममिति (Radial Symmetry) कहते हैं। सीलेन्टरेटा, टीनोफोर, तथा एकाइनोडर्म में इसी प्रकार की सममिति होती है।
  • ऐनेलिड, आर्थोपोड, आदि में एक ही अक्ष से गुजरने वाली रेखा द्वारा शरीर दो समरूप दाएं व बाएं भाग में बांटा जा सकता है। इसे द्विपार्श्व सममिति (Bilateral Symmetry) कहते हैं।

द्विकोरिक तथा त्रिकोरकी संगठन 

  • जिन प्राणियों में कोशिकाएं दो भ्रूणीय स्तरों में व्यवस्थित होती हैं यथा- बाह्य एक्टोडर्म (बाह्य त्वचा) तथा आंतरिक एंडोडर्म (अंतः त्वचा) वे द्विकोरिक (Diploblastic) कहलाते हैं। जैसे सीलेन्टरेटा
  • वे प्राणी जिनके विकसित भ्रूण में तृतीय भ्रूणीय स्तर मीजोडर्म होता है, त्रिकोरकी (Triploblastic)  कहलाते हैं। जैसे प्लेटीहेल्मिंथीज से रज्जुकी 

प्रगुहा (सीलोम Coelom)

  • शरीर भित्ति तथा आहार नाल के बीच में गुहा की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति वर्गीकरण का महत्वपूर्ण आधार है।
  • मीजोडर्म (मध्य त्वचा) से आच्छादित शरीर गुहा को देहगुहा (प्रगुहा) कहते हैं। तथा इससे युक्त प्राणी को प्रगुही प्राणी कहते हैं।  उदाहरण— ऐनेलिडा, मोलस्का, आर्थोपोडा,
  • एकाइनोडर्म, हेमीकॉर्डेट तथा कॉर्डेट। कुछ प्राणियों में यह गुहा मीसोडर्म से आच्छादित नहीं होती, बल्कि मध्य त्वचा (मीसोडर्म) बाह्य त्वचा एवं अंतः त्वचा के बीच बिखरी हुई थैली के रूप में पाई जाती है, उन्हें कूटगुहिक कहते हैं जैसे— ऐस्केहेल्मिंथीज। 
  • जिन प्राणियों में शरीर गुहा नहीं पाई जाती है उन्हें अगुहीय कहते हैं, जैसे— प्लेटीहेल्मिंथीज

खंडीभवन (सैगमेंटेशन)

  • कुछ प्राणियों में शरीर बाह्य तथा आंतरिक दोनों ओर श्रेणीबद्ध खंडों में विभाजित रहता है, जिनमें कुछेक अंगों की क्रमिक पुनरावृति होती है। उस प्रक्रिया को खंडीभवन कहते हैं। 
  • केंचुए में शरीर का विखंडी खंडीभवन होता है और यह विखंडावस्था कहलाती है।

पृष्ठरज्जु

  • शलाका रूपी पृष्ठरज्जु (नोटोकोर्ड) मीसोडर्म से उत्पन्न होती है जो भ्रूणीय परिवर्धन विकास के समय पृष्ठ सतह में बनती है। 
  • पृष्ठरज्जु युक्त प्राणी को रज्जुकी (कॉर्डेटा) कहते हैं तथा पृष्ठरज्जु रहित प्राणी को अरज्जुकी (नोनकॉर्डेटा) कहते हैं।

Tags: Science
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

मारवाड़ प्रजामण्डल

राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (RSMDC)

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (27)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क

DivanshuGS- December 14, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (137)
  • JPSC (5)

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form