गुप्तकाल महत्त्वपूर्ण परीक्षोपयोगी तथ्य



  • गुप्तकाल में 'कुमारामात्य' सबसे प्रमुख अधिकारी होते थे।
  • गुप्तकाल में सती प्रथा की प्रथम घटना का उल्लेख ए​रण अभिलेख में मिलता है।
  • 'भगवद्गीता' की रचना गुप्तकाल में हुई।
  • अजंता की गुफाओं के चित्र गुप्त युग की चित्रकला के सर्वोत्तम उदाहरण है।
  • विष्णु शर्मा द्वारा पंचतंत्र और नारायण भट्ट द्वारा हितोपदेश की रचना की गई।
  • संस्कृत साहित्य में कालिदास ने कुमारसंभव, मेघदूत, अभिज्ञानशाकुंतलम्, मालविकाग्निमित्र आदि की रचना की।
  • विशाखदत्त की मुद्राराक्षस, देवी चन्द्रगुप्तम्, भट्टी का रावण वध, शूद्रक का मृच्छकटिकम्, सुबंधु की वासवदत्ता व दण्डी की दशकुमार चरित इस युग में लिखे गए उच्च कोटि के साहित्य के उदाहरण है।
  • दशमलव तथा शून्य का अन्वेषण गुप्त युग में हुआ।
  • आर्यभट्ट गुप्त युग के गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। इन्होंने 'आर्यभटीय' नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें अंकगणित, बीजगणित तथा रेखागणित की विवेचना की गई है।
  • आर्यभट्ट ने 'सूर्यसिद्धांत' नामक ग्रंथ में यह सिद्ध किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।
  • वराहमिहिर ने 'वृहत्संहिता' एवं 'पंचसिद्धां​तिका' नाम के खगोलशास्त्र के ग्रंथों की रचना की।
  • ब्रह्मगुप्त ने 'ब्रह्म सिद्धांत' भी इसी काल का खगोलशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रंथ हैं 'शप्तपंचसिका, वशिष्ठ सिद्धांत' जैसे उच्चकोटि के ग्रंथ इसी युग में रचे गए।
  • धनवंतरी तथा सुश्रुत इस युग के प्रख्यात वैद्य थे।
  • 'नवनीतकम्' इस युग की प्रसिद्ध चिकित्सा पुस्तक है।
  • 'हस्त्यायुर्वेद' व 'अश्वशास्त' पशु चिकित्सा संबंधी पुस्तकें हैं जो गुप्त काल में ही लिखी गई।
  • प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी ने 'रसचिकित्सा' नामक पुस्तक की रचना की तथा सिद्ध किया कि सोना, चांदी, लोहा, तांबा धातुओं में रोग निवारण की शक्ति विद्यमान है।
गुप्तकाल में धनवंतरी तथा सुश्रुत प्रख्यात वैद्य, आर्यभट्ट, वराहमिहिर गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री, महाकवि कालीदास, विशाखदत्त, विष्णु शर्मा, नारायण भट्ट जैसे विद्वान निवास करते थे।


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