इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज

इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज

  • इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) की स्थापना यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) तथा वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा 1988 ई. में की गयी। 
  • इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है। वर्तमान में विश्व के 195 देश इसके सदस्य हैं।
उद्देश्य:-

  • जलवायु परिवर्तन के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का वैज्ञानिक आकलन करना है।
  • साथ ही, इन खतरों से निपटने के लिए उपायों का सुझाव देना भी है।
  • आईपीसीसी स्वयं कोई अध्ययन नहीं करता है बल्कि उपलब्ध वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है।
  • इसमें लगभग 130 देशों के वैज्ञानिक इसको अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। 
  • कार्य को अंजाम देने के लिए आईपीसीसी ने तीन वर्किंग ग्रुप, एक टास्क फोर्स और एक टास्क ग्रुप बनाया है जिनको जलवायु परिवर्तन से जुड़े अलग-अलग मुद्दों की पड़ताल का काम सौंपा गया है।
  • आईपीसीसी अब तक जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर पांच आकलन रिपोर्ट जारी कर चुका है, जो क्रमशः 1990, 1995, 2001, 2007 तथा 2014 में जारी हुई थी। 
  • इसके अलावा इसके वर्किंग ग्रुपों और टास्क फोर्स द्वारा भी जलवायु परिवर्तन के विभिन्न मुद्दों पर बीच-बीच में रिपोर्टें दी गयी हैं तथा दिशा-निर्देश तैयार किये गये हैं। 
  • उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए आईपीसीसी और अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर को संयुक्त रूप से वर्ष 2007 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया  जा चुका है।
  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने 08 अक्टूबर 2018 को अपनी रिपोर्ट जारी की है।
  • रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ग्रीन हाउस गैसों के मौजूदा उत्सर्जन स्तर को देखते हुए 2030  तक दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में भी इसके भयानक परिणाम होंगे।
  • आईपीसीसी की सह-अध्यक्षा डेब्रा रॉबर्ट्स के मुताबिक, आने वाले कुछ साल मानव इतिहास के लिए सबसे अहम साबित होने वाले हैं।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से जलवायु में बदलाव के असर समय से पहले दिखाई देने लगे हैं।

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