प्रमुख घास के मैदान

घास मैदान
विश्व के प्रमुख घास के मैदान


विश्व की उष्णकटिबंधीय घासभूमि का स्थानीय नाम एवं अविस्थिति

स्थानीय नाम
अवस्थिति
सवाना      
सूडान (अफ्रीका)
कैम्पोस     
ब्राजील
सेराडो
ब्राजील
लानोज      
कोलम्बिया एवं वेनेजुएला                
साहेल (अकेसिया सवाना)
लाल सागर से लेकर अटलांटिक महासागर तक एक पट्टी के रूप में अफ्रीका महाद्वीप में विस्तारित।

विश्व की प्रमुख शीतोष्ण कटिबंधीय घासभूमि का स्थानीय नाम एवं अवस्थिति


स्थानीय नाम
अवस्थिति
पम्पाज      
अर्जेंटीना, उरुग्वे एवं ब्राजील
वेल्ड        
दक्षिण अफ्रीका
कैण्टरबरी    
न्यूजीलैण्ड
डाउंस       
ऑस्ट्रेलिया
स्टेपी       
पूर्वी यूरोप एवं मध्य एशिया
प्रेयरीज      
उत्तरी अमेरिका
पुस्ताज      
हंगरी

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • ब्राजील के मातो ग्रोसो क्षेत्र में स्थित पंटानल घासभूमि मौसमी घासभूमि का सुंदर उदाहरण है।
  • पूर्वी अफ्रीका की घासभूमि में हाथी घास जबकि न्यूगिनी की घास में पिट-पिट घास की बाहुल्यता है। इन दोनों ही घासों की लंबाई इन क्षेत्रों में 3 मीटर तक पाई जाती है।
  • स्टेपी घासभूमि में ‘चेस्टन मृदा’ का व्यापक विस्तार है।
  • स्टेपी घासभूमि में स्टीपा एवं अर्टेमिसा जैसी घास प्रजातियों का बाहुल्य है।
  • स्टेपी घासभूमि में मंगोलियन गजेल एवं जंगली घोड़ों की दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं।
  • प्रेयरीज घासभूमि में ब्लूस्टेम नामक घास की प्रजाति का सर्वाधिक विस्तार है। इसकी लंबाई 1.5 मीटर से लेकर 2.4 मीटर तक होती है।
  • पम्पाज क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के एमू एवं अफ्रीकी सवाना में ऑस्ट्रिच के समकक्षी रिया पक्षी पाए जाते हैं।
  • साहेल घासभूमि का विस्तार गाम्बिया, सेनेगल, मारितानिया, माली, बुर्किना फासो, अल्जीरिया, नाइजर, नाइजीरिया, कैमरून, चाड, सूडान एवं दक्षिणी सूडान में है।
  • ऑस्ट्रेलिया की घासभूमियों में कंगारू बड़ी संख्या में पाये जाते हैं।

भारत में घास के मैदान 

  • उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में ‘बुग्याल’ नामक उच्च अक्षांशीय अल्पाइन घासभूमियां पाई जाती है।
  • ‘बुग्याल’ हिम रेखा और वृक्ष रेखा के मध्य का क्षेत्र होता है।
  • बन्नी घासभूमि गुजरात के कच्छ जिले में अवस्थित है।
  • तराई-दुआर घासभूमि तराई पट्टी के मध्य एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय घासभूमि, सवाना और झाड़ी भूमि के रूप में भारत के उत्तराखंड से लेकर उत्तरी पश्चिम बंगाल तक संकरी पट्टी में फैली हुई है।


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