बायकोम सत्याग्रह BayKom Satyagrh



बरसाड़ आन्दोलन - 1923-24 ई.

- गुजरात में सरकार द्वारा लगाये गये ‘डकैती कर’ के विरोध में।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में
- सरकार द्वारा सितम्बर 1923 में बरसाड़ के प्रत्येक व्यस्क पर 2 रुपये 7 आने का कर लगाने की घोषणा।
- 104 ग्राम प्रभावित, कर न अदायगी का निर्णय लिया।
- 7 फरवरी 1924 को समाप्त
- बरसाड़ सत्याग्रह को हार्डीमन ने ग्रामीण गुजरात में पहला सफल गांधीवादी सत्याग्रह कहा है।

- गुरू का बाग सत्याग्रह - 1922-23
- तारकेश्वर सत्याग्रह - 1924


- बायकोम सत्याग्रह - 1924-25

उद्देश्य - निम्न जातीय एझवाओं एवं अछूतों द्वारा गांधीवादी तरीके से त्रावणकोर के एक मंदिर के निकट की सड़कों के उपयोग के बारे में अपने-अपने अधिकारों को मनवाना।
नेतृत्व- एझवाओं के कांग्रेसी नेता टी. के. माधवन, के. केलप्पन तथा के. पी. केशवमेनन।
- मार्च 1925 में महात्मा गांधी ने वायकोम का दौरा किया 
- मंदिर प्रवेश का प्रथम आंदोलन
- सरकार ने अछूतों के लिए अलग सड़कों का निर्माण किया।
- झण्डा सत्याग्रह 1923 में कांग्रेस के ध्वज के प्रयोग को रोकने के विरोध में नागपुर में
- गुरू का बाग सत्याग्रह अगस्त 1922 में 
कारण- अपदस्थ महन्त और नवगठित शिरोमणि गुरू द्वारा प्रबंधक कमेटी के बीच विवादित भूमि पर एक पेड़ को काटे जाने के कारण हुआ (अमृतसर)
- तारकेश्वर आन्दोलन 1924 में बंगाल स्थित एक भ्रष्ट महंत के विरूद्ध स्वामी विश्वानंद ने प्रारंभ किया। कालांतर में सी. आर. दास इससे जुड़े।

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