लार्ड कर्जन 1899-1905 ई.



प्रशासनिक सुधार- 

पुलिस सुधार- 


  • 1902 में सर एण्ड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग नियुक्त किया गया ताकि प्रत्येक प्रान्त की पुलिस के प्रशासन की जांच-पड़ताल की जा सके
  • 1903 ई. में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह विभाग पूर्णतः अक्षम प्रशिक्षण से रहित, भ्रष्ट एवं दमनकारी है।
  • आयोग के सुझावों के आधार पर सभी स्तरों में वेतन वृद्धि, संख्या में वृद्धि, प्रशिक्षण की व्यवस्था, प्रान्तीय पुलिस की स्थापना व केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की स्थापना की व्यवस्था की गई।

शिक्षा में सुधार-


  • 1902 ई. में सर टामस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन
  • आयोग के सुझाव पर भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904 पारित किया।
  • इस अधिनियम के अनुसार विश्वविद्यालय पर सरकारी नियन्त्रण बढ़ गया।
  • विश्वविद्यालय की सीनेट में मनोनीत सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई।
  • सरकार को सीनेट द्वारा पारित नियमों के लिए निषेधाधिकार की अनुमति दी

आर्थिक सुधार- 


  • 1899-1900 ई. में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति में सर एण्टनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में अकाल आयोग नियुक्त किया।
  • भूमिकर को अधिक उदार बनाने हेतु कर्जन द्वारा 16 जनवरी 1902 को ‘भूमि प्रस्ताव’ लाया गया।
  • 1904 ई. में ‘सहकारी उधार समिति अधि.’ पेश हुआ।
  • 1899 में पारित भारतीय टंकण तथा पत्र मुद्रा अधिनियम के अनुसार अंग्रेजी पाउण्ड भारत में ग्राह्य बन गया।
  • सबसे अधिक रेलवे लाइने इसके काल में बनी। मिस्टर टॉमस राबर्टसन जो एक रेलवे विशेषज्ञ थे उन्हें इंगलैण्ड से आमंत्रित किया गया और रेलवे की कार्य कुषलता तथा प्रशासन पर सुझाव मांगे।

सैनिक सुधार-

- सेना के पुनर्गठन का कार्य अधिकतर लार्ड किचनर, जो भारत में 1902-08 तक मुख्य सेनापति के पद पर बने रहें, का था।
- भारतीय सेना को दो कमानों में बांट दिया गया- एक उत्तरीय कमान, जिसके कार्यालय मरी में थे और प्रहार केन्द्र पेशावर था और दूसरा दक्षिणी कमान जिसका मुख्यालय पूना था और प्रहार केन्द्र क्वेटा था।
- अफसरों के प्रशिक्षण के लिए इंग्लैण्ड के केम्बरले कॉलिज के नमूने पर एक कॉलिज क्वेटा में खोला गया।

कलकत्ता निगम अधिनियम- 1899 

- चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या में कमी कर दी।
- अंग्रेज लोगों की संख्या बढ़ा दी।
- ‘मैं वायसराय के पद से निवृत होने के पश्चात् कलकत्ता नगर निगम का महापौर होना पसंद करूंगा।’

प्राचाीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904

- इसके द्वारा कर्जन ने भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान देते हुए 50,00 पौण्ड धनराशि का आवंटन किया। 'भारतीय पुरातत्व विभाग' की स्थापना की।
- 1905 में बंगाल विभाजन

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