बंगाल में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद

बंगाल

  • बंगाल में आतंकवादी घटनाऐं बंग-भंग और उसके विरूद्ध आंदोलन के साथ शुरू हुई। बंगाल की ‘अनुशीलन समिति’ पहली क्रांतिकारी संस्था थी। यह 1907 में बारींद्र कुमार घोष, जोकि अरविन्द घोष केे भाई थे और भूपेंद्र दत्त के नेतृत्व में स्थापित की गई थी।
  • अन्य संस्थाऐं साधना समाज, शक्ति समिति, युगांतर समिति आदि।
  • भवानी मंदिर नामक पुस्तक में क्रांतिकारियों की क्रांतिकारी संस्था स्थापित करने की योजना के विषय में विस्तारपूर्वक वर्णन किया।
  • एक दूसरी पुस्तिका वर्तमान रणनीति 1907 में उन्होंने युद्ध के नियमों के बारे में लिखा और युवकों से सैनिक शिक्षा लेने की अपील की।
  • युगांतर और संध्या जैसी पत्रिकाओं के जरिए उन्होंने सशस्त्र विद्रोह करने का प्रचार किया। इस संस्था के दो सदस्य बारूद बनाने के लिए जापान गए और उन्होंने कलकत्ता के पास मानिकतला में बम बनाने शुरू किया।

ब्रिटिश राज्य का तख्ता उलटने के लिए, इन्होंने छः सूत्री कार्यक्रम बनायाः-

  1. प्रेस के द्वारा जोरदार प्रचार क जरिए शिक्षित वर्ग में ब्रिटिश राज्य के प्रति घृणा की भावना उभारना।
  2. देश के शहीदों की जीवनियों को संगीत और नाटक के द्वारा लोगों के सामने रखकर मातृभूमि क प्रति प्रेम जागृत करना।
  3. जलसे, जुलूस, हडताले आदि करके दुश्मन को व्यस्त करना।
  4. सैनिक शिक्षा, व्यायाम, धार्मिक कार्यक्रम, शक्ति पूजा इत्यादि के लिए युवकों की भर्ती करना।
  5. हथियार प्राप्त करना जैसे बम बनाना, बंदूके इत्यादि चोरी करना, विदेशों से शस्त्र खरीदकर देश में चोरी छिपे लाना।
  6. चंदे और डकैती के जरिए पैसा इकट्ठा करना।
  • 6 दिसम्बर 1907 को मिदनापुर के पास लेफ्निेंट गवर्नर की गाडी को बम से उड़ाने की कोशिश की गई। ढ़ाका के पहले मजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड को मारने का फैसला किया, जिन्होंने कई युवकों को
  • खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने 30 अप्रैल 1908 को मुजफ्फरपुर में उनकी गाडी से मिलती-जुलती गाडी पर बम फेंका, मगर उस गाडी में दो महिलाऐं 'श्रीमती कैनेडी और उनकी पुत्री' थी, मारी गई।
  • नरेंद्र गोसाई की, जो सरकारी गवाह बन गए थे कन्हाई लाल दत्त और सत्येंद्र बोस ने गोली मारकर हत्या कर दी।
  • इन आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 और समाचार-पत्र 'अपराध-प्रेरक अधि. 1908' पास किए।

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