राजस्थान वित्त निगम

राज्य में सार्वजनिक उपक्रम एवं वित्तीय संस्थान

  • राज्य में उद्योगों की स्थापना, विस्तार व आधुनिकीकरण कार्यो हेतु राष्ट्रीयकृत बैंकों, अखिल भारतीय

राजस्थान वित्त निगमः Rajasthan Finance Corporation

इस वैधानिक निगम की स्थापना राज्य वित्त निगम अधिनियम 1951 के अन्तर्गत 17 जनवरी, 1955 को की गई तथा निगम ने 8 अप्रैल 1955 को कार्यारम्भ किया।
निगम का प्रधान कार्यालय जयपुर में है। इसके 10 क्षेत्रीय कार्यालय तथा 41 शाखाऐं है एवं जोधपुर में एक अंचल कार्यालय कार्यरत है।
इस संस्था की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य राज्य में तीव्र औद्योगिक विकास हेतु, लघु एवं मध्यम पैमाने के उद्योगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
निगम की अधिकृत पूंजी 100 करोड रूपये तथा संचालक मंडल में 13 सदस्य होते है।
निगम के प्रमुख कार्य औद्योगिक इकाइयों को दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराना, ऋणों की गारन्टी देना, अंशों व ऋण पत्रों का अभिगोपन तथा केन्द्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना है।
निगम कम्पोजिट टर्म लोन स्कीम के अन्तर्गत ग्रामीण व अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में दस्तकारों, कुटीर व अति लघु क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों में संलग्न व्यक्तियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है।
निगम द्वारा 10 करोड रूपये तक का ऋण स्वीकार किया जाता है।
निगम द्वारा शिल्पबाडी योजना 1987-88 में ग्रामीण व शहरी शिल्पकारों व दस्तकारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई, जिसके अन्तर्गत अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को मकान, वर्कशेड, कच्चा माल व कार्यशील पूंजी हेतु प्रति शिल्पकार 50 हजार रूपयें की राशि उपलब्ध कराई जाती है।

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