शीर्षक: नागपुर के छात्र दुनिया बदल रहे हैं
नागपुर के छात्र दुनिया बदल रहे हैं
Intro
विज्ञान प्रदर्शनी का नाम सुनते ही आपके दिमाग में क्या आता है? थर्माकोल के मॉडल और चार्ट पेपर? अगर हाँ, तो चलिए इस सोच को बदलते हैं। क्या हो अगर हम कहें कि ये वो जगह हैं जहाँ नागपुर के युवा दिमाग दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं के हल ढूंढ रहे हैं? तो फिर तैयार हो जाइए 2025 के उन अविश्वसनीय आविष्कारों को देखने के लिए, जो ये साबित करते हैं कि भविष्य कहीं और नहीं, बल्कि यहीं नागपुर में गढ़ा जा रहा है।
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बड़े-बड़े आविष्कार कहाँ होते हैं? सिलिकॉन वैली? टोक्यो? 2025 ने इस लिस्ट में एक नया और चौंकाने वाला नाम जोड़ा है - नागपुर। जी हाँ, मध्य भारत का यह शहर अब एक ऐसे हब के तौर पर उभर रहा है, जहाँ छात्र और युवा वैज्ञानिक चुपचाप एक क्रांति को अंजाम दे रहे हैं। ये सिर्फ स्कूल के प्रोजेक्ट नहीं हैं; ये हमारी रोज़मर्रा की मुश्किलों के असली और असरदार समाधान हैं। खेती से लेकर स्वास्थ्य और पर्यावरण तक, नागपुर के ये यंग इनोवेटर्स दिखा रहे हैं कि अगर जुनून और सही मंच मिल जाए, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। चलिए, आपको नागपुर की उन विज्ञान प्रदर्शनियों की सैर पर ले चलते हैं, जहाँ भविष्य की झलक आज ही दिखाई दे रही है।
Section 1: हाई-टेक विज़न का पावरहाउस - 12वां साइंस एक्सपो और इनोवेशन फेस्टिवल
साल की शुरुआत ही बेहद शानदार रही, जब जनवरी 2025 में नागपुर के मशहूर रमन साइंस सेंटर में 12वें साइंस एक्सपो और इनोवेशन फेस्टिवल का आयोजन हुआ। यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि एक महासंगम था, जहाँ देश के 16 जाने-माने वैज्ञानिक संस्थान, जैसे CSIR और NIT नागपुर, अपने सबसे नए शोध लेकर मौजूद थे।
ज़रा सोचिए, एक तरफ देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक अपनी लेटेस्ट रिसर्च दिखा रहे थे, तो दूसरी तरफ स्कूल-कॉलेज के छात्र अपने बनाए अनोखे प्रोजेक्ट्स और स्टार्टअप आइडियाज़ पेश कर रहे थे। माहौल में गजब की énergie और curiosité थी। यहाँ वो प्रोजेक्ट्स देखने को मिले, जो सीधे-सीधे नागपुर की स्थानीय समस्याओं, जैसे प्रदूषण, पर निशाना साध रहे थे। NIT के इंजीनियरिंग छात्रों ने रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में अपना कमाल दिखाया।
इस एक्सपो का मकसद सिर्फ विज्ञान दिखाना नहीं, बल्कि युवाओं को यह एहसास दिलाना था कि विज्ञान एक बेहद रोमांचक करियर भी है। यहाँ पैनल डिस्कशन, वर्कशॉप और हर दिन विशेषज्ञों के दिलचस्प लेक्चर हुए। कल्पना कीजिए, 10वीं का कोई छात्र जो अब तक सिर्फ किताबों में रोबोट के बारे में पढ़ता था, यहाँ असल में एक रोबोट को काम करते देख रहा है और उसे बनाने वाले से सीधे सवाल पूछ रहा है। ये अनुभव किसी भी किताब से कहीं ज़्यादा गहरा असर छोड़ता है।
इस फेस्टिवल ने साबित कर दिया कि नागपुर के छात्रों में बड़े सपने देखने और उन्हें सच कर दिखाने का दम है। उन्हें बस एक मौके की तलाश है, और यह एक्सपो वही मौका दे रहा था, जहाँ युवा दिमागों को देश के टॉप वैज्ञानिकों से सीधे जुड़ने का अवसर मिला।
Section 2: विज्ञान जब खेल बन जाता है - अपूर्व विज्ञान मेला का जादू
अगर साइंस एक्सपो हाई-टेक इनोवेशन का शोकेस था, तो 2025 के अंत में हुआ 'अपूर्व विज्ञान मेला' इस बात का सबूत था कि विज्ञान को समझने के लिए महँगी लैब ज़रूरी नहीं होतीं। एसोसिएशन फॉर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इन बेसिक साइंस एजुकेशन और नागपुर महानगर पालिका का यह मेला अपने आप में अनोखा था। इसका एक ही मंत्र था - 'कम खर्च, शून्य खर्च'। छात्रों ने घर में मौजूद मामूली चीज़ों का इस्तेमाल करके विज्ञान के बड़े-से-बड़े सिद्धांतों को खेल-खेल में समझा दिया।
इस मेले की सबसे बड़ी खूबी थी इसकी पहुँच। इसमें न सिर्फ नागपुर के NMC स्कूलों के छात्र, बल्कि विदर्भ, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के छात्र और शिक्षक भी शामिल हुए। यह वाकई एक ऐसा उत्सव था, जहाँ विज्ञान की कोई सरहद नहीं थी।
यहाँ के असली हीरो थे देश भर से आए वो विशेषज्ञ, जिन्होंने विज्ञान को जादू का खेल बना दिया। पटना से आए जावेद आलम ने दिखाया कि बिना मिट्टी और धूप के बागवानी कैसे हो सकती है - एक ऐसा आइडिया जो शहरों में खेती के लिए क्रांति ला सकता है। मेरठ से आईं अलीशा ढाका ने घर पर ही खाने की चीज़ों में मिलावट जांचने के आसान तरीके बताए, जो हर घर के काम आ सकते हैं। वहीं, कोलकाता के कृष्णेंदु चक्रवर्ती ने मामूली चीज़ों से हवा की रफ्तार और चुंबकीय क्षेत्र के राज़ खोल दिए।
यह सिर्फ प्रयोगों का प्रदर्शन नहीं था; यह 'करके सीखने' का एक जीता-जागता उदाहरण था। जैसा कि शिक्षाविद् प्रो. दीपक शर्मा ने कहा, यह मेला बेसिक साइंस के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, क्योंकि यह बच्चों को 'आउट ऑफ द बॉक्स' सोचने पर मजबूर करता है। जब बच्चे अपने हाथों से कुछ बनाते हैं और उसे काम करते देखते हैं, तो उनकी समझ हमेशा के लिए पक्की हो जाती है। यह मेला साबित करता है कि जिज्ञासा और रचनात्मकता किसी भी हाई-टेक गैजेट से ज़्यादा ताकतवर होती है।
Section 3: खेतों से भविष्य तक - एग्रोविजन 2025 में युवा नवाचार
नागपुर की इनोवेशन की कहानी सिर्फ लैब और एक्ज़िबिशन हॉल में खत्म नहीं होती। इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा हमारे खेतों से जुड़ा है, और इसका सबसे बड़ा मंच है 'एग्रोविजन 2025'। नवंबर में आयोजित यह भारत की सबसे प्रमुख कृषि प्रदर्शनियों में से एक है, जिसके मुख्य संरक्षक केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हैं। इस साल यह इसका 15वां संस्करण था, जो पहले से कहीं ज़्यादा बड़ा और प्रभावी रहा।
यहाँ 500 से ज़्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स दिखाए, लेकिन असली रौनक 'एग्री स्टार्टअप पवेलियन' में थी। यह वो जगह थी जहाँ युवा उद्यमियों और छात्रों को खेती-किसानी में अपने क्रांतिकारी आइडिया दिखाने का मौका मिला। ज़रा सोचिए, किसी युवा इंजीनियर ने एक ऐसा सेंसर बनाया हो जो मिट्टी में नमी बताकर पानी की बर्बादी रोकता है, या किसी छात्र ने ड्रोन से कीटनाशक छिड़कने का सस्ता और असर