सच में नर भगवान बना है


हां बहुत संघर्ष किया नर-नारी ने
सभ्यता को इस पड़ाव तक लाने में।
अब भी क्या वही करेंगे,
जो सदियों से करते आयें। 
अब नहीं होगा शारिरिक श्रम,
न किसी का शारीरिक शोषण,
अब तकनीक पर जो विश्वास बढ़ा है,
सच में मानव भगवान बना है।
क्या सच में इंसान भगवान बना
हां, कुछ कृति नर की ऐसी,
जो बना देती उसे भगवान सम। 
और मशीन ने जो रोबोट का रूप लिया,
शायद अब मानव भगवान बना है।
यही कह रही सोच है,
वैसे भी कामचोर नर जात है,
निःस्वार्थ भाव से तो प्रकृति करती सेवा है।
वैसे भी अब दम उसका घुटता,
मैला हो गया बदन उसका,
पर नर की नारी ने पायी सुंदरता है।
नर मन उतना ही कामुक बना।
तभी नग्नता की होड़ मची,
नर ने तो रौंदा उसको,
बस कामुकता की चाह में,
आहें भरो तुम सदा यू ही। 
रौंदा था दो विश्व युद्धों से,
रत तू आज भी उस ओर है। 
.हां नर तू भगवान बनने की ओर है।
जिसे विकास कहता तू,
वह तो पतन मानव तन का है। 
भगवान अदृश्य होता है,
इस सिध्दि में नर रत है।
कुछ वक्त रूक और धैर्य से सुनों,  
मेरी भविष्यवाणी सच होगी।
जो उपयोगी नहीं नर,
उसकी दुर्गति भी वैसी होगी,
जैसे गौवंश बृषभ की हुई।
सच है स्वीकार करो।
मानव श्रम के पतन से पहले,
मानव सभ्यता वाहक की दुर्गति देखो। 
गोवंश के वृषभ का बलिदान,


भूल गया नर तू,
जिसको पैसों के मोह ने,
मशीनों की अंधी दौड़ ने, 
आज विश्व समुदाय में,
पैसों के वास्ते ही सही,
सच में नर भगवान बना है।
कोई ब्रांड एम्बेसडर बनता,
तो कोई बाला नग्न तन पर,
लता-पताका लपेट PETA का,
पेट पालती है श्रेष्ठ बौद्धिक वर्ग का।


इस सोच से तो,
नर तेरा भी संरक्षण,
आने वाले दिनों में निश्चित करना होगा। 
क्योंकि वर्तमान का नर,
आने वाले कल का भगवान बनने की ओर है। 
तभी तो एक नर को,
जन्म देने वाली माता बना दिया,
ऐसा तो भगवान करता है। 
सच में मानव भी भगवान बना।
स्वचालित तो प्रकृति के जीव थे,
जिसे ईश्वर की कृति माना,
पर आज मानव ने,
स्वचालित नियम से,
भगवान की कृति को चुनौती दी है।
गूगल ने तो स्वचालित टैक्सी,
बिना ड्राइवर के चलाई है।
देर नहीं होगी अब स्वचालित नर बनने में । 
क्योंकि कोई काया को कष्ट देने का जतन नहीं करता 
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ही नर तेरी दुर्गति होगी,
अब मानव को भगवान बना दिया।

कवि-
राकेश सिंह राजपूत






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