राजस्थान में विकास कार्यक्रम

राजस्थान में विकास कार्यक्रम

बंजर भूमि विकास कार्यक्रम:-
  • समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम की शुरूआत 1989-90 में केन्द्र सरकार द्वारा की गई थी।
  • यह कार्यक्रम 1 अप्रैल, 1995 से जलग्रहण विकास पद्धति के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • राजस्थान में बंजर भूमि विकास विभाग, की स्थापना जुलाई, 1982 ई. में की गईं थी।
  • समन्वित व्यर्थ भूमि विकास कार्यक्रम राजस्थान के दस जिलों जयपुर, सीकर, जोधपुर, टोंक, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, झालावाड़, जैसलमेर व पाली में 1992-93 ई. से संचालित है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य में पर्यावरण संतुलन व परिवेश संतुलन बनाए रखना है तथा वनों की कटाई पर रोक लगाना है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत मरू क्षेत्र के पूर्व में विस्तार पर रोक लगाना तथा अरावली व अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में बसी जनजातियों के विकास का मार्ग प्रशस्त करना है।
  • राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक बंजर भूमि का विस्तार जैसलमेर जिले में तथा प्रतिशत की दृष्टि से सबसे अधिक क्षेत्र राजसमंद जिले में विस्तृत है।
मरू विकास कार्यक्रम
  • मरू विकास कार्यक्रम का शुभारंभ 1977-78 ई. में किया गया था। यह कार्यक्रम केन्द्र सरकार द्वारा 1985 ई. से पूर्णतः वित्तीय रूप से संचालित है।
  • भारत सरकार के द्वारा मरुस्थल के  प्रसारण को रोकने के लिए इस कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक कार्यक्रम संचालित किए गए। 
  • 1 अप्रैल, 1999 ई. से केन्द्र तथा राज्य सरकार का अंश 75ः25 प्रतिशत का हो गया है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि तथा वानिकी का विकास, लघु सिंचाई सुविधाएं, भूमिगत जल का विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण आदि है।
  • यह कार्यक्रम राज्य के 16 ज़िलों के 85 विकास खण्ड़ों में संचालित है जो हैं - जैसलमेर, पाली, नागौर, बाड़मेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, चूरू, जालोर, झुंझुनूं, अजमेर, सिरोही, जयपुर, सीकर, राजसमंद एवं उदयपुर।


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