अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार


बंद अर्थव्यवस्था - 

  • यह एक ऐसे देश की अर्थव्यवस्था कही जा सकती है, कि जो दूसरे देश से कोई आर्थिक लेन-देन अथवा व्यापार नहीं करती है। इसके अन्तर्गत केवल देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का ही उपयोग किया जाता है। 

खुली अर्थव्यवस्था - 

  • यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जिसमें अन्य देशों के साथ वस्तुओं और सेवाओं का परस्पर लेन-देन तथा वित्तीय परिसम्पत्तियों का भी व्यापार किया जाता है। 
  • उदाहरण के लिए भारत में हम अन्य देशों से आयातित अनेक वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करते हैं। इसी प्रकार हमारे उत्पादन का कुछ भाग विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। 

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ - 

  • सामान्यतः व्यापार का अर्थ वस्तु और सेवाओं के क्रय विक्रय से होता है। व्यापार आन्तरिक और अन्तर्राष्ट्रीय होता है। आन्तरिक अथवा घरेलू व्यापार किसी भी देश की भौगोलिक सीमा के भीतर विभिन्न क्षेत्रों के बीच में होता है। 
  • उदाहरण के लिए दक्षिण भारत से केला, चावल और नारियल समूचे भारत में आन्तरिक व्यापार के तहत भेजे जाते हैं। इसी प्रकार कश्मीर में उत्पादित सेव, मसाले, केसर इत्यादि भी ऐसे ही उदाहरण हैं। इसके विपरीत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दो अथवा दो से अधिक देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय होता है। 
  • किसी देश की भौगोलिक सीमाओं के बाहर होने वाला व्यापार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। उदाहरणार्थ भारत और अमेरिका के बीच होने वाला व्यापार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। इसे सरल भाषा में विदेशी व्यापार भी कहते हैं। 


अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की आवश्यकता को हम निम्नलिखित बिन्दुओं से समझ सकते हैं-

  1. सभी देश सभी प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन समान रूप से करने में सक्षम नहीं होते हैं, इसलिए आवश्यकता की वस्तुओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण के लिए तेल की आवश्यकता सभी देशों को होती है, किन्तु यह कुछ ही क्षेत्र में सीमित है। अतः इसका अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार होता है। 
  2. विश्व में साधनों जैसे उर्वरा भूमि, खनिज सम्पदा, वनसम्पदा इत्यादि का असमान वितरण होता है। जलवायु भी असमान रहती है। उत्पादन के साधनों के बीच स्थानापन्न पूर्ण नहीं होता है। अतः प्रत्येक देश उस वस्तु के उत्पादन में विशिष्टीकरण करता है, जो साधन वहाँ प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इससे उसकी उत्पादन लागत कम होती है। लाभ अर्जित करने के लिए वस्तुओं का निर्यात करता है। इसके विपरीत अल्प संसाधनों और इनकी ऊँची कीमतों के कारण ऐसी वस्तुओं का दूसरे देशों से आयात करता है। इस प्रकार वह अपनी उत्पादन लागत कम करने का प्रयास करता है और अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से लाभ अर्जित करता है। 
  3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से आधुनिक टैक्नोलोजी प्राप्त होती है जिससे विकासशील और पिछड़े देशों का विकास सम्भव होता है। 
  4. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से घरेलू उद्योगों में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से अधिक लाभ कमाने के लिए वे अपने उत्पाद की गुणवत्ता और विक्रय मात्रा दोनों में वृद्धि करते हैं। 
  5. वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से प्राप्त आगम, सकल राष्ट्रीय उत्पाद का बड़ा अंश होता है। सभी विकासशील देशों के विकास में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एक उत्तरदायी घटक रहा है। 

महत्त्व:-
प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई परिभाषा अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व को बताती है- 

  • जेकब वाइनर के अनुसार “विदेशी व्यापार कुछ अंश तक विशिष्टीकरण को जन्म देता है।” 
  • वाल्टर क्रूसे “अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अधिक मनुष्यों को जीने की अनुमति देता है, विभिन्न रुचियों को प्रदान करके जनता को उच्च जीवन स्तर का आनन्द देता है जो शायद उसकी अनुपस्थिति में सम्भव नहीं होता।” 

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्व को निम्न बिन्दुओं से समझाया गया है- 

  1. उपभोक्ता, उत्पादक और विनियोगकर्त्ता को अधिक वस्तुओं के चयन का अवसर प्रदान करता है। 
  2. प्राकृतिक संसाधन का पूर्ण उपयोग होने में सहायक होता है। 
  3. प्रत्येक देश को विकास करने का समान अवसर प्रदान करता है। 
  4. प्राकृतिक आपदाओं में आवश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहायक होता है। 
  5. विकासशील देशों को वित्तीय सुविधा और आधुनिक टैक्नोलॉजी प्राप्त होने से तीव्र औद्योगीकरण की सम्भावनाएं बढ़ती है।
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों में परस्पर सद्भावना बढ़ती है।


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