डलहौजी की राज्य हड़प नीति या व्यपगत नीति



  • ब्रिटिश सार्वभौमिकता की स्थापना के लिए युद्ध के अलावा कुछ ऐसे उपायों का सहारा लिय गया, जिनके बल पर कई भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। डलहौजी के इसी उपाय को व्यपगत सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। 
  • यह गोद-निषेध सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। डलहौजी ने ब्रिटिश सत्ता का विस्तार तीन प्रकार से किया।

1. युद्ध अभियान करना।
2. बुरे शासन एवं भ्रष्टाचार के नाम पर प्रदेशों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लेना।
3. गोद-निषेध द्वारा राज्यों का विलीनीकरण।

  • डलहौजी के अनुसार भारत में तीन प्रकार की रियासतें थीं

1. वे रियासतें जो कभी-भी अंग्रेजों के अधीन नही और न ही अंग्रेजों को कर देती थीं।
2. वे भारतीय रियासतें जो मुगल सम्राट अथवा पेशवा के बजाये अंग्रेजों के अधीन हो गई थीं।
3. वे रियासतें जो अंग्रेजो ने सनदों द्वारा स्थापित की थीं

गोदप्रथा 

  • किसी सत्ताधारी शासक के पुत्र नहीं होता था तो वह हिन्दू विधि अनुसार अपने निकट संबंधी के पुत्र  को गोद लेकर दत्तक पुत्र बना लिया करता था। पिता की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र को वे सभी अधिकार प्राप्त होते थे, जो एक वास्तविक पुत्र के होते थे। अंग्रेजों ने गोद के अधिकार को वैधानिक माना था।
  • 1831 में बम्बई सरकार ने ऐसी घोषणा भी की थी। 
  • 1843 में दौलतराव सिन्धिया की विधवा बैजाबाई की गोद की स्वीकृति दी थी लेकिन एलनबरो ने 1840 में जालोन के शासक को ऐसी स्वीकृति नहीं दी।

गोद निषेध नीति

  • डलहौजी पक्का साम्राज्यवादी था और सम्पूर्ण भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व देखना चाहता था। उसने विचार किया कि निःसंतान नरेशों को गोद लेने से रोक दिया जाये तो उनके राज्य आसानी से कम्पनी के राज्य में मिला लिये जाएंगे। 
  • डलहौजी के द्वारा गोद लेने के अधिकार के स्थान पर सर्वश्रेष्ठ शक्ति  द्वारा व्यपगत का अधिकार स्थापित किया गया, क्योंकि जो शक्ति अधिकार देती है, वह ले भी सकती है।

सतारा 

  • सतारा राज्य इस सिद्धांत का पहला शिकार था। 1848 ई. में सतारा के राजा अप्पा साहिब की मृत्यु हो गई। अपनी मृत्यु से पूर्व उन्होंने हिन्दू रीति के अनुसार कम्पनी की अनुमति के बिना अपना एक दत्तक पुत्र बना लिया था। 
  • 1818 में लार्ड हेस्टिंग्ज ने मराठा शक्ति को समाप्त करने के उपरान्त सतारा का राज्य शिवाजी के वंशज प्रताप सिंह, उसके बेटों और उत्तराधिकारियों को दे दिया। 
  • 1839 ई. मे राजा प्रताप सिंह को गद्दी से उतारकर अंग्रेजों ने सतारा का राज्य अप्पा साहिब को दे दिया। 
  • डलहौजी ने अप्पा साहब की गोद लेने की कार्यवाही को अवैधानिक ठहराया और सतारा को ‘आश्रित राज्य घोषित’ करके कम्पनी राज्य में मिला लिया।

झांसी - 

  • 1817 ई. में पेशवा की पराजय के बाद लार्ड हेस्टिंग्ज ने झांसी के राजा रामचन्द्र राव से एक संधि करके उसे उसके पुत्र और उत्तराधिकारियों को यह राज्य अधीनस्थ सहयोग की शर्तों पर दे दिया। उसकी मृत्यु के बाद राजवंश के गंगाधर राव नामक बालक को उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिय गया। 
  • गंगाधर रावकी मृत्यु के बाद उनकी रानी लक्ष्मीबाई ने दामोदर राव को गोद ले लिया। 
  • 20 नवम्बर, 1853 ई. को गंगाधर राव की मृत्यु के उपरान्त डलहौजी द्वारा रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र के अधिकार को अस्वीकार करते हुए फरवरी, 1854 में झांसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।

नागपुर

  • गोद निषेध के अन्तर्गत विलीन किये जाने वाले राज्यों में नागपुर रियासत सबसे बड़ी थी। 1853 ई. में नागपुर के महाराजा रघुजी तृतीय की मृत्यु हो गई। 
  • रघुजी की मृत्यु के बाद उसकी रानी ने राजा की इच्छानुसार यशवन्त राव को गोद ले लिया। लेकिन डलहौजी ने इसे स्वीकार नहीं किया और नागपुर जिसका क्षेत्रफल 80 हजार वर्गमील था अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया। 
  • नागपुर कपास का मुख्य उत्पादक केन्द्र था। 

तन्जौर

  • तन्जौर का राज्य किसी भी प्रकार से कम्पनी पर आश्रित अथवा अधीन नहीं था। लेकिन डलहौजी ने राज्य अपहरण के किसी भी अवसर को हाथ से नहीं जाने दिया। 
  • 1855 ई. में तन्जौर के राजा की मृत्यु हो गई। उसके कोई पुत्र नहीं था। अतः डलहौजी ने अपनी व्यपगत नीति के अनुसार तन्जौर को भी ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया।
  • जैतपुर को 1849 ई. में अंग्रेजी साम्राज्य मिला लिया।
  • बघाट को 1858 ई. में व उदयपुर को भी अपने साम्राज्य में मिला लिया।


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