अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना कब और किस उद्देश्य से की गई?

अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना कब और किस उद्देश्य से की गई? यह न्यायालय किस प्रकार के विवादों की सुनवाई करता है?

अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय विधि क्षेत्र में एक अत्यधिक प्रगतिशील प्रयास है। इसका गठन 2002 में ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों को दंड देने के लिए किया गया, जो जनसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध और आक्रमण का अपराध करें। यह न्यायालय 1 जुलाई 2002 से अस्तित्व में आया। अगस्त 2008 तक इसके सदस्यों की संख्या 105 है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका, चीन और भारत ने इसकी सदस्यता ग्रहण नहीं की है। इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है, लेकिन यह विश्व में कहीं भी सुनवाई कर सकता है। यह न्यायालय निम्नलिखित प्रकार के अपराधों से जुड़े विवादों की सुनवाई कर सकेगाः-
जनसंहारः- व्यक्तियों, समूहों, कट्टरपंथियों या सरकारों द्वारा किये जाने वाले जनसंहार से जुड़े अपराध।
युद्ध अपराधः- युद्ध के दौरान निरीह नागरिकों की हत्या करने, उनका अंग-भंग करने, उन्हें देश निकाला देने, शारीरिक तथा मानसिक रूप से नागरिकों को प्रताड़ित करने जैसे अपराध।
मानवता के विरुद्ध अपराधः- किसी नागरिक समूह के विरुद्ध सोचा-समझा आक्रमण।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति से इतर सैन्य संघर्ष 
आक्रमणः- भी संज्ञेय अपराध ही माना जायेगा, यदि इसकी परिभाषा पर बहस के बाद बहुमत द्वारा इस आक्रमण के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है।
इस न्यायालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें राज्य के ऊपर मुकदमा न चलाकर व्यक्तियों के ऊपर मुकदमा चलाया जायेगा। वैसे विशेष परिस्थितियों में ‘राज्य’ को भी एक पक्ष बनाया जा सकेगा।

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