वेदांग क्या है?


  • वेदों का अर्थ ठीक-ठीक समझने के लिए वेदांगों की रचना हुई।
  • वेदांग कुल 6 हैं। ये सूत्र साहित्य के अंतर्गत आते है। ये निम्नलिखित है-


  1. शिक्षा (स्वरविज्ञान): यह शुद्ध उच्चारण से सम्बन्धित है।
  2. व्याकरण: इसका संबंध भाषा संबंधी नियमों से हैं
  3. निरुक्त (यास्क): वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति से सम्बन्धित
  4. छंदः इसके दो भाग हैं- लौकिक एवं अलौकिक। वेदों में अलौकिक छंद का प्रयोग।
  5. ज्योतिषः इसके दो भाग हैं- गणित ज्योतिष और फलित ज्योतिष
  6. कल्प (धर्मानुष्ठान): ये ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। कल्प नामक वेदांग में छोटे-छोटे वाक्यों में सूत्र बनाकर महत्वपूर्ण वैदिक विधि-विधानों को प्रस्तुत किया गया। इसके निम्न चार भाग हैं-


  • अ. श्रौत सूत्र- इसमें यज्ञ सम्बंधी नियम-विनियम हैं।
  • ब. शुल्व सूत्र- इसमें यज्ञ वेदिकाओं के निर्माण एवं माप सम्बन्धी नियम हैं। ज्यामितीय गणित का आरंभ यहीं से हुआ माना जाता है।
  • स. गृह सूत्र- इसमें मनुष्य के गृहस्थ के लौकिक एवं पारलौकिक कर्त्तव्यों का वर्णन है।
  • द. धर्म सूत्र - इसमें धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक नियमों की चर्चा है। ये भारतीय विधि के प्रारंभिक स्रोत है।


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