नेपोलियन की कानून संहिता क्या है?


  • नेपोलियन का सबसे स्थायी कार्य नागरिक कानूनों का संकलन था। क्रांति से पूर्व फ्रांस में अनेक कानून थे और उनमें परस्पर असंगतियां थी।
  • नेपोलियन ने चार विधि विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर फ्रांस के कानूनों को संकलित करने का प्रयास किया। 1804 ई. में बनी इस विधि संहिता को ‘नेपोलियन कोड’ कहा जाता है। इसमें पांच प्रकार के कानून -
  1. नागरिक संहिता ‘सिविल कोड’
  2. कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर ‘नागरिक प्रक्रिया संहिता’
  3. पीनल कोड ‘दण्ड विधान
  4. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर ‘अपराध मूलक प्रक्रिया की संहिता’
  5. कॉमर्शियल कोड ‘व्यवसाय सम्बन्धी कानून’
  • इसी संहिता में मानव अधिकारों की घोषणा की गई।
  • सबको कानून के समक्ष समान स्वीकार किया गया।
  • स्त्री को पुरूष की अपेक्षा निम्न स्तर दिया गया। इस संहिता में किसी भी प्रकार का सामाजिक, राजनीतिक, या धार्मिक पक्षपात नही था।
  • इस विधि के निर्माण में नेपोलियन ने व्यक्तिगत रूचि का प्रदर्शन किया था और उसकी इच्छानुसार ही इसका निर्माण हुआ था। इनमें एक ओर, पुराने कानूनों के दोषों को दूर किया गया, दूसरी ओर क्रांतिकारी समय के नवीन और उपयोगी कानूनों को भी उचित स्थान दिया गया।
  • जूरी की सहायता से खुले मुकदमें सुनने की व्यवस्था की गई। बडे़ पुत्र को सम्पत्ति का उत्तराधिकारी मानने का कानून समाप्त कर, सभी पुत्रों को बराबरी का अधिकार दिया गया।
  • विवाह को एक पवित्र एवं स्थायी बन्धन माना गया नेपोलियन ने इस कोड के अन्तर्गत परिवार को एक पवित्र इकाई माना।
  • कैथोलिकों के विरोध के बावजूद भी नेपोलियन ने सिविल मैरिज तथा तलाक को स्वीकार किया। व्यक्तिगत सम्पति के सिद्धान्त को मान्यता दी गयी और भूमि पर स्वामी के अधिकार को इतना ठोस बनाया गया, जितना वह पहले कभी नही था।
  • विधि संहिता में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को संरक्षण दिया गया। एकमात्र सरकार ही मुआवजा देाकर व्यक्तिगत सम्पति का अधिग्रहण कर सकती थी।
  • नेपोलियन ने स्वयं सेंट हेलना में कहा था, ‘ मेरा वास्तविक गौरव मेरी चालीस युद्धों की विजयों में नहीं है, मेरी विधि संहिता ही ऐसी है, जो कभी न मिट सकेगी और चिरस्थायी सिद्ध होगी।’
  • 1802 ई. में उसे आजन्म कौंसल का पद दिया गया और 1804 ई. में महत्वाकांक्षी नेपोलियन फ्रांस का सम्राट घोषित किया गया। उसने कहा ‘मुझे फ्रांस का राजमुकुट धूल में पडा मिला, जिसे मैंने तलवार की नोक से उठा लिया।’

नेपोलियन की सम्राट के रूप में उपलब्धियां

  • प्रथम कौंसल का पद धारण करने के समय से ही नेपोलियन व्यक्तिगत शासन स्थापित करने का स्वप्न देखने लगा था। 1802 ई. में सीनेट ने उसे जीवन पर्यन्त कौंसल बनाया। 1804 ई. में सीनेट ने उसे फ्रांस का आनुवंशिक सम्राट घोषित किया।
  • 2 दिसंबर 1804 ई. को नेपोलियन का नोत्रदामे गिरिजाघर में राज्याभिशेक करके उसे विधिवत् फ्रांस का सम्राट बना दिया गया।
  • फ्रांस की जनता द्वारा नेपोलियन के निरंकुश शासन को स्वीकार करने का कारण यह था कि जनता क्रांति के पश्चात की अराजकता एवं अव्यवस्था से परेशान हो गयी थी।

1. यूरोप में प्रभुता का प्रयासः

  • 1804 ई. में इंग्लैण्ड के पिट ने तीसरा गुट फ्रांस के विरूद्ध बना लिया। इस तीसरे गुट में इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया, रूस और स्वीडन सम्मिलित थे। प्रशा तटस्थ रहा।
  • बेवेरिया तथा वुर्टम्बर्ग नेपोलियन से मिल गये। नेपोलियन ने आस्ट्रिया पर आक्रमण कर 20 अक्टूबर 1805 ई. में उल्म पर अधिकार कर लिया।
  • 21 अक्टूबर 1805 ई. को फ्रांस और इंग्लैण्ड के बीच प्रसिद्ध ट्राफल्गर का युद्ध लडा गया। इस युद्ध में फ्रांस तथा स्पेन का जहाजी बेडा पूर्णतया नष्ट हो गया।
  • ब्रिटेन की जलशक्ति सर्वोपरि साबित हुई लेकिन इसमें अंग्रेज जल सेनानायक नेल्सन मारा गया। ट्राफल्गर की यह पराजय फ्रांस के लिए इतनी भयंकर थी कि इसके पश्चात् नेपोलियन ने सदैव के लिए समुद्र के मार्ग से इंग्लैण्ड के ऊपर आक्रमण करने की योजना त्याग दी।
  • 2 दिसंबर 1805 ई. को आस्टरलिट्ज के युद्ध में प्रशा और आस्ट्रिया की मिली-जुली सेनाओं को नेपोलियन ने गहरी शिकस्त दी। विवश होकर आस्ट्रिया को फ्रांस से प्रेसबर्ग की संधि 26 दिसंबर 1805 करनी पडी। इस संधि में आस्ट्रिया ने फ्रांस को वेनेशिया और डालमेशिया तथा बेबेरिया को टायरोल और बेडेन को वुर्टम्बर्ग के कुछ क्षेत्र सौंपने पडे।
  • अब नेपोलियन ‘राजाओं का निर्माता’ बन गया। इस संधि का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम जर्मनी का पुनः निर्माण था। उसने अनेक छोटे-छोटे जर्मन राज्यों को समाप्त कर दिया और ‘राइन राज्य संघ’ का निर्माण किया। जिसमें बेवेरिया, वुर्टम्बर्ग तथा जर्मनी के अन्य 14 राज्य सम्मिलित थे।
  • 6 अगस्त 1806 ई. को पवित्र रोमन साम्राज्य का अंत कर दिया गया। ‘राइन राज्य संघ’ के निर्माण के बाद नेपोलियन ने आस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस को ‘पवित्र रोमन सम्राट’ का पद त्यागने को विवश  कर दिया।


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