राजस्थान के प्रमुख संप्रदाय

राजस्थान में प्रमुखतः दो सम्प्रदाय मिलते हैंः-


 सगुण सम्प्रदाय
 निर्गुण सम्प्रदाय
रामानुज सम्प्रदाय
दादू सम्प्रदाय
रामानन्दी सम्प्रदाय
विशनोई सम्पद्राय
निम्बार्क सम्प्रदाय
जसनाथी सम्प्रदाय
वल्लभ सम्प्रदाय
लालदासी सम्प्रदाय
निष्कंलक सम्प्रदाय
रामस्नेही सम्प्रदाय
गौड़ीय सम्प्रदाय
परनामी सम्प्रदाय

निरंजनी सम्प्रदाय
नाथ सम्प्रदाय
कबीरपंथी सम्प्रदाय
पाशुपत सम्प्रदाय
चरणदासी सम्प्रदाय

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निम्बार्क सम्प्रदाय


अन्य नाम - हंस सम्प्रदाय
प्रवर्तक - निम्बार्काचार्य
दर्शन - द्वैताद्वैत/भेदाभेद
मुख्यपीठ - सलेमाबाद अजमेर
रचना - वेदान्त परिजात
विशेष - राधकृष्ण की युगल पूजा करते है।

- राधा को कृष्ण की परिणीता मानते है।
- इसे महाराजा जगतसिंह ने सर्वाधिक आश्रय दिया।

वल्लभ सम्प्रदाय-


अन्य नाम - पुष्टिमार्ग
प्रवर्तक - वल्लभाचार्य
दर्शन - शुद्धाद्वैत
मुख्यपीठ - सिंहाड़
अन्यपीठ - मथुरेशजी, कोटा
- विट्ठलजी, नाथद्वारा
- द्वाारिकाधीश, कांकरौली
- गोकुलचन्द्रजी, कामवन, भरतपुर
- मदनमोहन जी, गोकुल, यू.पी.
- बालकृष्णजी, सूरत, गुजरात
रचना - अष्टछाप, कविमंडल, संगठन (विट्ठलनाथ द्वारा स्थापित)
विशेष - मुख्यपीठ वल्लभाचार्य द्वारा जबकि अन्यपीठ अनके सात पुत्रों द्वारा स्थापित है।
- इस सम्प्रदाय के लोग कृष्ण की पूजा करते है।
- इस सम्प्रदाय के लोग
1. संगीत को हवेली संगीत
2. कृष्ण को श्रीनाथ,
3. मन्दिर को हवेली
4. दर्शन को झांकी
5. ईशकृपा को पुष्टि
- इस सम्प्रदाय के लोगों का मूल मंत्र श्रीकृष्णम् शरणम् नमः
- इस सम्प्रदाय के लोग कृष्ण के बालरूप की पूजा करते है।
- पुष्टिमार्ग की शुरूआत विट्ठलदास ने की थी।
- सूरदास इस मार्ग के जहाज कहलाते है।
- इस सम्प्रदाय को सर्वाध्कि आश्रय महाराणा राजसिंह ने दिया।
नोट: किशनगढ़ का शासक सांवत सिंह इस सम्प्रदाय का अनन्य भक्ति द्वारा सन्यास आश्रम ग्रहण करते हुए सावन्तसिंह से नागरीदास बन गये।

दादू सम्प्रदायः

संस्थापक- दादू दयाल जी ने 1554 ई. मेें
गुरु - वृद्धानंद 
दादूजी का जन्म वि.सं. 1601 में अहमदाबाद में हुआ। 
इस सम्प्रदाय की प्रमुख गद्दी नरैना (दूदू के पास) में है।
निर्गुण पंथियों के समान दादूपंथी लोग भी अपने को निरंजन, निराकार उपासक मानते है।
ये आमेर के राजा मानसिंह के समकालीन थे। 



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