प्रशान्त चन्द्र महालनोबिसः भारतीय सांख्यिकी के पथप्रदर्शक



जीवन

  • जन्म 29 जून, 1893 को, कोलकाता में
  • पिताः प्रबोधचन्द्र
  • पी.सी. महालनोबिस ने अपनी स्कूली शिक्षा ब्रह्म बॉयज स्कूल कोलकाता से प्राप्त की एवं प्रेसीडेन्सी कॉलेज कोलकाता में बी.एस.सी. फिजिक्स ऑनर्स डिग्री हासिल करने के पश्चात् 1913 में कैम्ब्रिज कॉलेज ज्वाइन करने के लिए लंदन चले गये। वहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम से हुई।
  • इंग्लैण्ड प्रवास के दौरान श्री महालनोबिस ‘बायोमैट्रिका’ पुस्तक से काफी प्रभावित हुए।
  • 27 फरवरी 1923 को श्री महालनोबिस का विवाह शिक्षाविद् श्री हीरामबचन्द्र मैत्रे की सुपुत्री निर्मल कुमारी के साथ हुआ।



भारतीय सांख्यिकीय संस्थानः-

  • भारत में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना करने का निर्णय लिया गया और 28 अप्रैल 1932 को अलाभकारी संस्था के तौर पर सांख्यिकी में शोध कार्य और उच्च स्तरीय  शिक्षण कार्य सम्पन्न करने के उद्देश्य से भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (ISI) की स्थापना की गई।
  • सन् 1950 में केन्द्रीय सरकार ने पूरे देश में समंक संकलन व विश्लेषण के लिये राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण परियोजना प्रारम्भ की और भारतीय सांख्यिकी संस्थान को सर्वेक्षण का प्रारूप तैयार करने, कर्मचारियों को तकनीकी प्रशिक्षण देने, समंक-विधियन और रिपोर्ट लिखने का कार्यभार सौंपा गया। यह संस्थान 1972 तक इन कार्यों को सम्पन्न करता रहा।
  • 1972 से ये सभी कार्य सरकार के सांख्यिकी विभाग के अधीन संस्थापित राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन को सौंप दिये।
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजना से पूर्व (1956 तक) भारतीय सांख्यिकी संस्थान द्वारा योजना से सम्बन्ध विषयों पर सर्वेक्षण आयोजित करने और पंचवर्षीय योजना का प्रारूप तैयार करने का कार्य भी किया जाता था।
  • 1959 में संसद ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान अधिनियम पारित किया, जिसके द्वारा अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के अतिरिक्त इस संस्थान को सांख्यिकी विषय में विश्वविद्यालयों की भांति उपाधि व डिप्लोमा प्रदान करने का अधिकार दिया गया।
  • संस्थान द्वारा ‘‘सांख्य’’ नामक पत्रिका का नियमित प्रकाशन किया जो सैद्धान्तिक, व्यावहारिक व अनुप्रायोगिक सांख्यिकी के क्षेत्र में उच्चस्तरीय शोध-लेखों के लिये विश्वप्रसिद्ध हैं।


सांख्यिकी में योगदानः-

  • श्री महालनोबिस बायोमैट्रिका से प्रेरित होकर व आचार्य श्री ब्रजेन्द्र नाथ शील को अपना गुरु मानकर अपना सांख्यिकीय कार्य शुरू किया। शुरुआती दौर में उन्होंने विष्वविद्यालय परीक्षा परिणाम के विष्लेषण का कार्य किया। इसके बाद ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के तत्कालीन डायरेक्टर श्री नेल्सन एन्नानड्ेल के कहने पर Anthropometric Measurements Of Anglo-Indian in Calcutta पर सूक्ष्म परीक्षण किया। इन्हीं परीक्षणों के उपरान्त ही उन्हें महालनोबिस डिसटेन्स Mahalanobis Distance की उपाधि भी दी गई।
  • कुछ समय तक मेट्रोलॉजिस्ट के पद पर रहते हुये इन्होंने मेट्रोलॉजिकल समस्याओं का भी भली-भांति निवारण किया।
  • सन् 1924 में जब वे कृषि प्रयोगों के परिणाम के सम्भाव्य विभ्रम Probable Error पर कार्य कर रहे थे तो इनकी मुलाकात श्री रोनाल्ड फिषर से हुई तथा जीवनपर्यन्त इनकी दोस्ती रही। इन्होंने बाढ़ की रोकथाम के लिये भी काफी प्रयोग किये।
  • श्री महालनोबिस का वृहद् सैम्पल सर्वे में काफी महत्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने पायलट सर्वे की अवधारणा को प्रतिपादित किया व सैम्पलिंग पद्धतियों की उपयोगिता की वकालत की। इसी कड़ी के रूप में इन्होंने सन् 1937 से 1944 के मध्य उपभोक्ता व्यय, चाय पीने की आदत, भूमि मापन, पौध बीमारियों इत्यादि विषयों पर सर्वे कार्य किया। साथ ही फसल उत्पादन अनुमान का नया तरीका इजाद किया, जिसमें चार फीट के व्यास के टुकड़े में उत्पादित फसल कटाई के आधार पर उत्पादन अनुमान तैयार किया जाता था।


सम्मान व पुरस्कारः-


  • श्री महालनोबिस के सांख्यिकी व योजना क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के कारण राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक, सम्मान व पुरस्कार प्रदान किये गये जिसमें से प्रमुखतया निम्न हैः

1.    Weldon Medal from Oxford University (1944)
2.    President of Indian Science Congress (1950)
3.    Sir Devi Prasad Sarvadhilari Gold Medal (1957)
4.    Fellow of the American Statistical Assosiation (1961)
5.    Durga Prasad Khaitan Gold Medal (1961)
6.    Padma Vibhushan (1968)
7.    Srinivasa Ramanujam Gold Medal (1961)
8.    Secretary and Dirctor of the India Statistical Institue] Calcutta
9.    Honorary Statistical Adviser to the Cabinet of the Govt. of India


28 जून, 1972 को अपने 79वें जन्मदिन के एक दिन पूर्व इस युग पुरुष का निधन हो गया।
वर्ष 2006 से भारत सरकार द्वारा उनके जन्म दिवस को ‘‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।












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